रीवा शिक्षा विभाग के लिए क्यों ज़रूरी हैं आर.एल. दीपांकर? जानिए सबसे सीनियर, स्वच्छ और अनुभवी प्राचार्य की ख़ासियतें!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो)  रीवा ज़िले में शिक्षा विभाग की कमान संभालने के लिए इन दिनों कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन एक नाम ऐसा है जिस पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है – आर.एल. दीपांकर. उन्हें ज़िले के सबसे सीनियर, स्वच्छ, अनुभवशील और ईमानदार प्राचार्यों में से एक माना जाता है, और उनके कार्य अनुभव को देखते हुए उन्हें ज़िला शिक्षा अधिकारी (DEO) का दायित्व सौंपना शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ा सकारात्मक कदम हो सकता है.

कार्यकुशलता का बेजोड़ उदाहरण
आर.एल. दीपांकर की कार्यकुशलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक साथ कई महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी संभाली है. उन्होंने न केवल प्राचार्य मार्तण्ड क्रमांक 3 का दायित्व संभाला, बल्कि साथ ही बीईओ रीवा और डीपीसी रीवा के संवेदनशील पदों पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. इन तीनों महत्वपूर्ण दायित्वों का एक साथ निर्वहन करना उनकी प्रशासनिक क्षमता, दूरदर्शिता और अटूट समर्पण का प्रमाण है.

इस तरह का बहुआयामी अनुभव शिक्षा विभाग में शायद ही किसी और अधिकारी के पास हो, जहाँ उन्हें ज़मीनी स्तर से लेकर ज़िला स्तर तक की हर चुनौती और बारीकी की गहरी समझ हो.

ईमानदारी और विश्वसनीयता की पहचान
वर्तमान में जब शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति जैसे मामलों में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं, ऐसे समय में आर.एल. दीपांकर जैसे स्वच्छ छवि और ईमानदार अधिकारी की ज़रूरत और बढ़ जाती है. उनके लंबे करियर में उन पर कभी किसी तरह का कोई दाग़ नहीं लगा है, जो उनकी विश्वसनीयता को और पुख़्ता करता है.

अगर आर.एल. दीपांकर को ज़िला शिक्षा अधिकारी की ज़िम्मेदारी मिलती है, तो यह न केवल विभाग में पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देगा, बल्कि एक अनुभवी नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में नए सुधारों को भी गति मिल सकती है. उनकी नियुक्ति से विभाग में एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है, जिससे ज़िले में शिक्षा का स्तर और भी बेहतर होगा.

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