मावा नहीं, 'केमिकल' खा रहे थे आप! मोबाइल लैब ने खोला मिलावटखोरों का काला राज, देखें कौन बेच रहा जानलेवा मिठाई?

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) दीपावली, होली और अन्य बड़े पर्वों के दौरान मिठाईयों की माँग में अचानक अभूतपूर्व वृद्धि हो जाती है। दुर्भाग्य से, इस बढ़ी हुई माँग का फायदा उठाकर कुछ मिलावटखोर (adulterators) कम समय में अधिक लाभ कमाने के लालच में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। वे उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के बजाय सस्ते, हानिकारक केमिकल्स (chemicals) और अशुद्धियों (impurities) का उपयोग करते हैं।
यह प्रवृत्ति उपभोक्ताओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा (serious health risk) पैदा करती है। बाजार में बिकने वाली कई मिठाइयों में सिंथेटिक रंगों, प्रतिबंधित रसायनों और हानिकारक स्टार्च जैसे पदार्थों की मिलावट पाई जाती है, जो न केवल पेट संबंधी बीमारियों (stomach ailments) को जन्म दे सकती है, बल्कि लंबे समय में किडनी (kidney) और लीवर (liver) को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर, त्यौहारों के दौरान मिठाई का सेवन बढ़ जाता है, जिससे यह खतरा और भी गंभीर हो जाता है।
रीवा जिले में खाद्य एवं सुरक्षा विभाग (Food and Safety Department) द्वारा की गई हालिया जांचों से यह स्पष्ट होता है कि मिलावटखोरी एक बड़ा मुद्दा है। प्रशासन की सक्रियता यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और शुद्ध उत्पाद मिलें।
रीवा प्रशासन की सक्रियता: मिलावटखोरों पर नकेल
रीवा जिले के कलेक्टर (Collector) के निर्देशानुसार, जिला प्रशासन ने मिठाई और डेयरी उत्पादों (dairy products) में मिलावट को रोकने के लिए एक तीव्र जांच अभियान (intensive inspection drive) शुरू किया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों से पहले बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने शहर भर के विभिन्न प्रतिष्ठानों (establishments) से नमूने (samples) जब्त किए हैं और उनकी जाँच (testing) शुरू कर दी है। इस सक्रिय कार्रवाई से मिठाई विक्रेताओं के बीच एक डर का माहौल पैदा हुआ है, जो शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। प्रशासनिक कार्रवाई इस बात का स्पष्ट संकेत है कि मिलावटखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन का यह कदम उपभोक्ता हित (consumer interest) और खाद्य सुरक्षा (food safety) को प्राथमिकता देता है।
जाँच के दौरान कई नमूनों में चौकाने वाली अशुद्धियाँ (impurities) सामने आई हैं। अधिकारियों ने पाया है कि मिठाईयों में आरा रूट (Arrowroot) जैसी सस्ती और निम्न गुणवत्ता वाली अशुद्धि का उपयोग किया जा रहा है। आरा रूट एक प्रकार का स्टार्च होता है जिसे मावा (khoya) या पनीर (paneer) जैसे महंगे तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है, जिससे उत्पादन लागत कम हो जाती है। यह मिलावट न केवल धोखाधड़ी है, बल्कि यह मिठाई के पोषण मूल्य (nutritional value) को भी कम करती है।
मोबाइल लैब का महत्व और तकनीकी जाँच
रीवा प्रशासन की इस पहल में मोबाइल लैब (Mobile Lab) का उपयोग एक प्रमुख तकनीकी सहायता (technical aid) है। मोबाइल लैब की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह प्राथमिक जांच (preliminary testing) के लिए त्वरित परिणाम (quick results) प्रदान करती है।
- तत्काल पहचान: मोबाइल लैब टीम मौके पर ही खाद्य पदार्थों के नमूनों की शुरुआती जांच करती है। इससे वे तुरंत उन नमूनों को अलग कर सकते हैं जो असंगत (non-compliant) पाए जाते हैं या जिनमें मिलावट का स्पष्ट संदेह होता है।
- शीघ्र कार्रवाई: प्राथमिक जांच में फेल हुए नमूनों को अगली कानूनी कार्यवाही (further legal proceedings) के लिए जिला या राज्य प्रयोगशाला में भेजा जाता है। इस त्वरित प्रक्रिया से मिलावटखोरों को लंबी अवधि तक अपना मिलावटी कारोबार जारी रखने का मौका नहीं मिलता।
- बाजार पर दबाव: मोबाइल लैब की उपस्थिति और उसके द्वारा तत्काल जांच की क्षमता बाजार में एक निरंतर दबाव (constant pressure) बनाए रखती है, जिससे विक्रेताओं को शुद्धता बनाए रखने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
तकनीकी जांच का यह तरीका पारंपरिक जांच से बेहतर है, जहाँ रिपोर्ट आने में लंबा समय लग सकता है। तकनीकी सहायता का यह प्रभावी उपयोग खाद्य सुरक्षा विभाग की सतर्कता (vigilance) को दर्शाता है।
मिठाई विक्रेता सस्ता माल मंगाकर मिलावट युक्त मिठाई क्यों बेचते हैं?
मिठाई उद्योग में मूल्य (price) और गुणवत्ता (quality) के बीच एक स्पष्ट संघर्ष है। कई मिठाई विक्रेता अपने उत्पादों की उत्पादन लागत (production cost) को कम करने और प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपनी कीमतें कम रखने के लिए निम्न-गुणवत्ता वाले माल का उपयोग करते हैं।
- सस्ता माल: विक्रेता अक्सर मावा और अन्य डेयरी उत्पादों को सस्ते दामों (cheap rates) पर खरीदते हैं, जो अक्सर खुद ही मिलावटी होते हैं, खासकर जब वे बाहरी सप्लायरों (outside suppliers) से मंगाए जाते हैं।
- लाभ का लालच: सस्ता माल खरीदकर और फिर उसमें आरा रूट, मैदा (flour), सिंथेटिक दूध पाउडर (synthetic milk powder), या हानिकारक रंगों जैसी अशुद्धियों को मिलाकर, वे लाभ मार्जिन (profit margin) को अधिकतम करते हैं।
- उपभोक्ताओं को धोखा: इससे उपभोक्ताओं को न केवल निम्न गुणवत्ता वाली मिठाई मिलती है, बल्कि उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचता है, क्योंकि उन्हें शुद्ध उत्पाद (pure product) का झांसा दिया जाता है।
प्रशासन के लिए यह आवश्यक है कि वह केवल अंतिम विक्रेता पर ही नहीं, बल्कि पूरी सप्लाई चेन (supply chain) पर ध्यान केंद्रित करे, जिसमें मावा और डेयरी उत्पादों के सप्लायर (suppliers of khoya and dairy products) शामिल हैं, जो अक्सर मिलावट के स्रोत होते हैं।
मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने में कठिनाई क्यों हो रही है?
मिलावटखोरी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही (legal action) चल रही है, जिसमें दोषी पाए जाने वाले विक्रेताओं पर जुर्माना (fine) लगाया जाता है और उन्हें दंडित किया जाता है। हालाँकि, इस पूरी प्रक्रिया में एक बड़ी चुनौती न्यायालयों में मामलों का लंबित (pendency of cases in courts) होना है।
- प्रभावी अंकुश में बाधा: न्यायालयीन प्रक्रियाओं (court procedures) में लगने वाले लंबे समय के कारण, कई मामलों में फैसला आने में वर्षों लग जाते हैं। इस देरी का फायदा मिलावटखोर उठाते हैं और उन्हें तुरंत कोई कड़ी सजा (strict punishment) नहीं मिलती, जिससे वे बिना किसी डर के अपना कारोबार जारी रखते हैं।
- प्रशासनिक बोझ: लंबित मामले खाद्य सुरक्षा विभाग पर भी प्रशासनिक बोझ बढ़ाते हैं, जिससे उनकी ऊर्जा और संसाधन पहले से मौजूद मामलों को ट्रैक करने में खर्च होते हैं, बजाय इसके कि वे नए और अधिक व्यापक जाँच अभियान चला सकें।
- अपराधी को प्रोत्साहन: यदि अपराधी को जल्दी सजा नहीं मिलती है, तो यह अन्य लोगों को भी मिलावटखोरी (adulteration) करने के लिए प्रोत्साहित (encourages) करता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे कानूनी शिकंजे से बच सकते हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का सुदृढ़ीकरण (strengthening of legal procedures) और त्वरित न्यायालयों (fast-track courts) का गठन आवश्यक है ताकि मिलावटखोरी के मामलों में शीघ्र न्याय मिल सके।
त्योहारों के दौरान मिठाईयों की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
दीपावली (Diwali) जैसे त्योहारों के दौरान, जब मिठाईयों की माँग में भारी उछाल आता है, तब मिलावट की संभावना भी चरम पर (at its peak) पहुँच जाती है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, रीवा प्रशासन ने त्योहारों के दौरान एक व्यापक और विस्तृत जांच अभियान (comprehensive and extensive inspection drive) चलाने का निर्णय लिया है।
- गुणवत्ता सुनिश्चित करना: इस अभियान का मुख्य लक्ष्य मिठाईयों की गुणवत्ता (quality) सुनिश्चित करना और यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में केवल उपभोग के लिए सुरक्षित (safe for consumption) मिठाईयाँ ही बिकें।
- सार्वजनिक सुरक्षा: यह पहल सीधे तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य (public health) और सुरक्षा (safety) से जुड़ी है। नियमित अंतराल पर बाजार की जाँच से यह सुनिश्चित होगा कि मिलावटखोरों को अपने काम को अंजाम देने का मौका न मिले।
- उपभोक्ता विश्वास: जब प्रशासन इतनी सक्रियता दिखाता है, तो इससे उपभोक्ताओं का विश्वास (consumer confidence) शुद्ध मिठाईयों पर बहाल होता है, और वे बिना किसी डर के खरीदारी कर सकते हैं।
यह विशेष अभियान समय-समय पर जांच (periodic checks) और कड़ी कार्रवाई (strict action) की आवश्यकता को रेखांकित करता है ताकि मिठाई खाने का आनंद स्वास्थ्य के साथ सुरक्षित (safe) भी रहे।
शुद्ध मिठाई कैसे पहचानें?
मिठाई उद्योग में मिलावट एक गंभीर समस्या है, लेकिन उपभोक्ता के रूप में आप अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं:
- विश्वसनीय दुकान: हमेशा प्रसिद्ध और विश्वसनीय दुकानों (reputed and reliable shops) से ही मिठाई खरीदें। ऐसी दुकानें जो पूरे साल उच्च गुणवत्ता बनाए रखती हैं, वे त्योहारों के दौरान भी शुद्धता बनाए रखने की अधिक संभावना रखती हैं।
- रंगों की जाँच: अत्यधिक चमकीले या असामान्य रूप से गहरे रंगों वाली मिठाइयों से बचें। ये अक्सर कृत्रिम रंग (artificial colours) हो सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
- मावा की शुद्धता: मावा-आधारित मिठाई खरीदते समय, उसकी बनावट और गंध पर ध्यान दें। शुद्ध मावा चिपचिपा नहीं होता और उसकी महक प्राकृतिक होती है।
- स्वच्छता पर ध्यान: जिस दुकान से आप मिठाई खरीद रहे हैं, वहाँ की स्वच्छता (hygiene) और कर्मचारियों के पहनावे पर ध्यान दें।
- लेबल जाँच: यदि पैक की हुई मिठाई खरीद रहे हैं, तो FSSAI लाइसेंस नंबर (FSSAI License Number), निर्माण तिथि (manufacturing date), और समाप्ति तिथि (expiry date) की जाँच अवश्य करें।
आपकी जागरूकता (awareness) ही मिलावटखोरी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है। सुरक्षित और शुद्ध मिठाई खाने का आनंद लें और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।