SATNA में 96 लाख रुपए का गेहूं घोटाला मामला : 9 आरोपियों के विरुद्ध FIR दर्ज, जिला प्रबंधक सस्पेंड

 
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सतना के एक खरीदी केंद्र पर कागजों में 96 लाख रुपए का फर्जी गेहूं खरीद लिया गया। इसकी ऐवज में किसानों को भुगतान भी कर दिया गया। यही नहीं, मिलीभगत से ट्रांसपोर्टर, बिचौलिए, अफसर और कर्मचारियों ने गेहूं का परिवहन दिखाकर रेलवे के रैक तक पहुंचना भी दिखा दिया।

मामला सामने आने पर मंगलवार को राज्य शासन ने नागरिक आपूर्ति निगम के सतना जिला प्रबंधक अमित गौड़ को सस्पेंड कर दिया। 9 आरोपियों के विरुद्ध FIR भी दर्ज कराई गई है। सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने 19 ऐसे किसानों के बैंक खातों पर रोक लगा दी है, जिनको गेहूं खरीदी का भुगतान किया जा रहा था। जिन किसानों के खाते में रकम पहुंच गई है, उनसे निकासी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

गेहूं गोदामों पर नहीं पहुंचा लेकिन भुगतान कर दिया

मंगलवार को जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक अमित गौड़ की लापरवाही से सतना जिले में 96 लाख रुपए का गेहूं घोटाला हुआ है। इसकी प्रारंभिक जांच के बाद उनका निलंबन किया जा रहा है। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर होगा।

आदेश में कहा गया है कि सतना के खरीदी केंद्र कारीगोही से 8 मई को 8 ट्रक गेहूं रवाना किया गया। इसकी मात्रा 2360 क्विंटल थी। इसी तरह 13 मई को 5 ट्रक गेहूंं रवाना किया। इनमें 1500 क्विंटल गेहूं था। ये 13 ट्रक गोदामों पर नहीं पहुंचे लेकिन गेहूं की आवक दर्शा दी। कार्पोरेशन के केंद्रों से इनके स्वीकृति पत्र भी जारी किए गए। इसके बाद संबंधित किसानों को पेमेंट कर दिया गया।

सर्वेयर का रजिस्ट्रेशन सीएमएमएस पोर्टल पर जिला प्रबंधक गौड़ के लॉगिन से किया गया था इसीलिए गौड़ को निलंबित किया जाता है।

जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के सतना जिला प्रबंधक अमित गौड़ को सस्पेंड कर दिया गया।

जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के सतना जिला प्रबंधक अमित गौड़ को सस्पेंड कर दिया गया।

निलंबन से पहले गौड़ ने ही कराई FIR

गेहूं खरीदी में गड़बड़ी की सूचना पर प्रभारी कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने मामले की जांच कराई थी। इसके बाद नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक अमित गौड़ ने ही धारकुंडी थाने में पहुंचकर FIR दर्ज कराई। पुलिस ने सीता गिरी, अभिलाषा सिंह, शिवा सिंह, सम्राट सिंह, राकेश सिंह, सतीश कुमार द्विवेदी, नरेंद्र पांडेय, धनंजय द्विवेदी और खरीदी केंद्र से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

खरीदी केंद्र समूह अध्यक्ष सीता गिरी और ऑपरेटर अभिलाषा सिंह के नाम पर है जबकि जांच दल ने शिवा सिंह को यहां काम करते पाया था।

अधिकृत ट्रांसपोर्टर की भूमिका संदिग्ध

मामले में ट्रकों से गेहूं का परिवहन करने के लिए अधिकृत ट्रांसपोर्टर दिलीप जायसवाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। ट्रांसपोर्टर के ट्रकों की जीपीएस लोकेशन संबंधित खरीदी केंद्र पर नहीं थी। इसके अलावा ट्रकों को अलग-अलग स्थानों पर जाने का कहा गया था, जो जायसवाल की सहमति के बगैर नहीं हो सकता है।

जायसवाल ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसकी आईडी हैक कर 13 ट्रकों से गेहूं परिवहन करना बताया गया था। इसकी जांच पुलिस अलग से कर रही है।

घोटाले को इस तरह दिया अंजाम

गेहूं खरीदी के इस घोटाले को अंजाम देने के लिए जयतमाल बाबा स्वसहायता समूह, कारीगोही बनाया गया। यहां 8 मई और 13 मई को कुल 13 ट्रक गेहूं की खरीदी दर्शाई गई। इसके बाद गेहूं को ट्रकों से कोटर तहसील के लखनवाह स्थित एमपी वेयर हाउसिंग के गोदाम में जमा करने का आदेश दिया गया।

बाद में वेयर हाउसिंग गोदाम से रेलवे रैक पॉइंट भेजने का आदेश जारी किया गया लेकिन वास्तव में गेहूं वहां पहुंचा ही नहीं। न तो ट्रक पर गेहूं लोड हुआ और न ही सप्लाई किया गया।

फर्जी खरीदी में भुगतान असली

13 ट्रक गेहूं का भुगतान असली किसानों को 3 दिन के अंदर कर दिया गया जबकि आमतौर पर इसमें 7 से 10 दिन का समय लगता है। बिना एक दाना गेहूं बेचे 66 किसानों के खाते में रुपए डालने के आदेश दिए गए। 58 किसानों को भुगतान भी हो गया। पेमेंट लिस्ट में 11 किसानों के नाम रिपीट हैं। 8 किसानों के खाते में रकम पहुंचनी बाकी थी, इसी बीच पोल खुल गई।

जिन किसानों के खाते में गेहूं बेचने के नाम पर भुगतान कर पैसे भेजे गए, वे सभी अफसरों से मिलीभगत में शामिल हैं। मामले में खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अफसरों के साथ राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि जिन किसानों को भुगतान किया गया, उनके नाम पर संबंधित क्षेत्र में फसल बोने की मंजूरी देने का काम रिकॉर्ड में दिखाया गया।

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