भारत का सबसे सफल ओलिंपिक : 13 साल बाद जान- गण- मन- स्वर्ण, जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देश को इस खेल में दिलाया गोल्ड मेडल

 

भारत का सबसे सफल ओलिंपिक : 13 साल बाद जान- गण- मन- स्वर्ण, जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देश को इस खेल में दिलाया गोल्ड मेडल

भारत का ओलिंपिक में एथलेटिक्स का गोल्ड जीतने का 121 साल का इंतजार खत्म हो गया है। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देश को इस खेल में गोल्ड मेडल दिलाया। उन्होंने शनिवार को हुए फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ जेवलिन थ्रो इवेंट में पहला स्थान हासिल किया।

भारत ने 1900 में हुए दूसरे ओलिंपिक गेम्स में पहली बार हिस्सा लिया था। तब से आज तक कोई भारतीय एथलेटिक्स के किसी इवेंट में मेडल नहीं जीत पाया था। 1900 ओलिंपिक में ब्रिटिश इंडिया की ओर से खेलते हुए स्प्रिंटर नॉर्मन प्रिटचार्ड ने दो सिल्वर मेडल जीते थे। लेकिन, प्रिटचार्ड अंग्रेज थे भारतीय नहीं।

नीरज ने पहले अटैम्प्ट में 87.03 मीटर और दूसरे अटैम्प्ट में 87.58 मीटर दूर भाला फेंका था। जबकि तीसरे अटैम्प्ट में उन्होंने 76.79 मीटर दूर भाला फेंका था। चौथे और पांचवें अटैम्प्ट में उन्होंने फाउल थ्रो किया। छठवें अटैम्प्ट में उन्होंने 84.24 मीटर दूर भाला फेंका।

क्वालिफाइंग में 86.65 मी. का थ्रो किया

नीरज इस समय बेहतरीन लय में हैं। उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक में जेवलिन थ्रो के क्वालिफाइंग इवेंट में 86.65 मीटर का थ्रो किया था। उन्होंने क्वालिफाइंग के ग्रुप A और ग्रुप B को मिलाकर पहला स्थान हासिल किया था। नीरज का पर्सनल बेस्ट 88.06 मीटर है। इस थ्रो के साथ उन्होंने 2018 एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल जीता था।

सिल्वर और ब्रॉन्ज चेक खिलाड़ी जीते

नीरज ने ओलिंपिक का गोल्ड जीता, तो सिल्वर और ब्रॉन्ज पर चेक रिपब्लिक के खिलाड़ियों ने कब्जा जमाया। जाकुब वेदलेच 86.67 मीटर थ्रो के साथ सिल्वर और वितेस्लाव वेसेली ने 85.44 मीटर के थ्रो के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।

ट्रैक एंड फील्ड में देश को पहला मेडल

ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स यानी एथलेटिक्स ओलिंपिक गेम्स का मुख्य आकर्षण होते हैं, लेकिन नीरज से पहले कोई भारतीय इन इवेंट्स में मेडल नहीं जीत पाया था। ब्रिटिश इंडिया की तरफ से खेलते हुए नॉर्मन प्रिटचार्ड ने साल 1900 में हुए ओलिंपिक में एथलेटिक्स में दो मेडल जीते थे, लेकिन वे भारतीय नहीं अंग्रेज थे।

इससे पहले 5 बड़े इवेंट में जीता गोल्ड

इंडियन आर्मी में काम करने वाले नीरज अपने करियर में टोक्यो ओलिंपिक से पहले 5 मेगा स्पोर्ट्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। उन्होंने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, साउथ एशियन गेम्स और वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।

जर्मन कोच ली थ्रोइंग स्किल्स की ट्रेनिंग

जेवलिन थ्रो की शुरुआती ट्रेनिंग देश में ही करने के बाद नीरज चोपड़ा ने जर्मनी के बायो मैकेनिक्स एक्सपर्ट क्लाउस बार्तोनित्ज से अपनी थ्रोइंग स्किल्स को बेहतर बनाने की ट्रेनिंग ली है। इसके बाद उनके प्रदर्शन में निरंतरता आई और उन्होंने बड़े मुकाबले जीते।

वजन कम करने के लिए आए थे एथलेटिक्स में

नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने वजन कम करने के लिए एथलेटिक्स जॉइन की थी। जल्द ही वे एज ग्रुप प्रतियोगिताओं में अच्छा परफॉर्म करने लगे और कई टूर्नामेंट में जीत हासिल की। उन्होंने 2016 में इंडियन आर्मी जॉइन की थी और अब एक सैनिक की तरह भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

भारत को 13 साल बाद ओलिंपिक गोल्ड

ओलिंपिक गेम्स में भारत को 13 साल बाद किसी इवेंट में गोल्ड मेडल मिला है। इससे पहले, 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड जीता था। बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट का गोल्ड अपने नाम किया था।

भारत का अब तक का 10वां गोल्ड

यह ओलिंपिक गेम्स में भारत का अब तक का 10वां गोल्ड मेडल है। भारत ने इससे पहले हॉकी में 8 और शूटिंग में 1 गोल्ड मेडल जीता है। इस तरह भारत का यह अभिनव बिंद्रा के बाद सिर्फ दूसरा इंडिविजुअल गोल्ड मेडल भी है।

जेवलिन थ्रो के साथ ही भारत का टोक्यो ओलिंपिक में अभियान समाप्त हो गया। नीरज ने इस सफर का स्वर्णिम अंत किया। भारत के लिए यह सबसे सफल ओलिंपिक बन गया है। भारत ने इसमें 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज समेत कुल 7 मेडल जीते। 2012 के लंदन ओलिंपिक में भारत ने 6 मेडल जीते थे।

इस बार नीरज चोपड़ा के गोल्ड के अलावा मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर, पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज और लवलिना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इधर, रेसलिंग में रवि दहिया ने सिल्वर मेडल और बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। टीम इवेंट्स की बात करें, तो भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।

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