REWA : अतिक्रमण से प्रभावित गरीब लाचारो ने निगम प्रशासन की खोली पोल : निगम के सरे दावे हुये फेल

 
REWA : अतिक्रमण से प्रभावित गरीब लाचारो ने निगम प्रशासन की खोली पोल : निगम के सरे दावे हुये फेल

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। शहर के रतहरा तालाब से बीते नौ मई को हटाए गए अतिक्रमण से प्रभावित लोगों के विस्थापन की अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। नगर निगम लगातार दावा कर रहा है कि जितने लोगों के मकान और झोपडिय़ों को तोड़ा गया है उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए मकानों का आवंटन कर दिया गया है। साथ ही सत्ताधारी दल से जुड़े नेताओं की ओर से विस्थापन का दावा किया जा रहा है।

इन सब दावों के उलट हटाए गए लोगों ने कहा है वह अब भी आवास योजना के मकान की पार्किंग में रह रहे हैं। नगर निगम और प्रशासन की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए पहले तालाब की मेढ़ से हटाकर बाहर कर दिया था। जिसके चलते प्रभावित लोग अपने परिवार के साथ सड़कों पर सामन रखकर रात गुजारी। यह तस्वीरें मीडिया में आई तो प्रशासन पर भी दबाव बना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रतहरा मोहल्ले में ही बनाए गए मकानों की पार्किंग में स्थान दिया गया। तब से लेकर अब तक सभी प्रभावित नहीं पर रह रहे हैं। अब नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी इनका हाल भी पूछने नहीं पहुंच रहे हैं।

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पूर्व के आवेदनों पर 17 लोगों को किया आवंटन
रतहरा से जिन लोगों को हटाया गया है, उनमें से 62 लोगों को मकान देने का नगर निगम दावा कर रहा है। इसकी वाहवाही भी स्वयं अधिकारी लूट रहे हैं। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी, संजय सिंह बघेल, राघवेन्द्र दुबे द्वारा लगाए गए आवेदनों में नगर निगम और कलेक्टर कार्यालय की ओर से 17 लोगों को ही मकान देने की बात स्वीकारी गई है। बताया गया है कि इसमें वे लोग मकान पाए हैं जिन्होंने करीब दो वर्ष पहले मकान के लिए आवेदन किया था। नए सिरे से आवेदन नगर निगम ने लिए हैं अब हितग्राहियों से २० हजार रुपए जमा कराने के लिए कहा जा रहा है। यह राशि देने पर लोगों ने असमर्थता जाहिर की है।
भोजन स्वयं पका रहे, निगम द्वारा देने का दावा फेल
नगर निगम की ओर से यह दावा किया गया है कि रतहरा तालाब से हटाए गए जिन लोगों को आवास योजना की पार्किंग में रखा गया है उन्हें सेंट्रल किचन से नियमित भोजन मुहैया कराया जा रहा है। जबकि मौके पर महिलाएं स्वयं भोजन पका रही हैं। कुछ ने काम शुरू कर दिया है तो कइयों को अलग-अलग सामाजिक संगठनों की ओर से अनाज मुहैया कराया गया था। आसपास से लकडिय़ां बीनकर महिलाएं लाती हैं और उसी से भोजन पका रही हैं।
विवाद में घिरने पर बचाव कर रहे अधिकारी
वार्ड 15 के स्थानीय पार्षद अशोक पटेल ने कहा है कि लॉकडाउन के बीच गरीबों का मकान गिराने के मामले में भाजपा के नेता और नगर निगम के अधिकारी घिरते जा रहे हैं। इसलिए काल्पनिक बातें कर रहे हैं। ऐसे कुछ लोगों को मकान दिया गया है जिनका पहले से आवेदन पड़ा था। अब केवल आवेदन फार्म लिए जा रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी मौखिक रूप से मकान आवंटित करने का दावा कर रहे हैं लेकिन लिखित दस्तावेज नहीं दे रहे हैं।

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