MP : किसानों को सता रही बैंकों का कर्ज चुकाने की चिंता, गेहूं खरीदी का भुगतान नहीं
किसानों का कहना है कि पिछले साल भी लाकडाउन के कारण किसान की कमर टूट चुकी थी। कोरोना महामारी के बीच हरी सब्जियां, फल और फूल खेतों में ही खराब हो जाने से काफी नुकसान झेलना पड़ा था। इसके बाद सोयाबीन के साथ खरीफ सीजन की फसलें भी कीट प्रकोप के चलते पूरी तरह से नष्ट हो गई थी।
किसान नेता बबलू जाधव का कहना है कि अल्पकालीन फसल ऋण की तारीख 30 अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून की जानी चाहिए। इससे किसान को कुछ महीनों की राहत मिल सकेगी। इस समय महामारी का प्रकोप चल रहा है। प्रकोप के चलते प्रदेश भर में लाक डाउन से फसली मंडियां बंद पड़ी हैं और किसान अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं। एक साल पहले भी किसानों को लाकडाउन के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था और शासन द्वारा कोई राहत राशि मदद के तौर पर नहीं दी गई।