Reality show lockupp : औरतों का टच हरदम मर्दों को बनाता है जवान, पूनावाला ने कहा; बड़े बिजनेसमैन की बीवी के पतिदेव की रजामंदी से बिता चुके हैं रात

 

Reality show lockupp : औरतों का टच हरदम मर्दों को बनाता है जवान, पूनावाला ने कहा; बड़े बिजनेसमैन की बीवी के पतिदेव की रजामंदी से बिता चुके हैं रात

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने से पहले का किस्सा है। वो सफल बिजनेसमैन थे, जिनके रंगारंग किस्से पूरे मुल्क को व्यस्त रखते। उसी दौर में एक TV प्रोग्राम के लिए उनका इंटरव्यू हुआ, जिसमें सीने को गुब्बारे-सा फुलाकर ट्रम्प ने कहा कि वो सैकड़ों औरतों के करीब रह चुके हैं। डेज ऑफ अवर लाइव्स (Days of Our Lives) के सेट पर जाते हुए उन्होंने आगे जोड़ा- जब आप (मर्द) कामयाब होते हैं तो वे (औरतें) आपको ये सब करने देती हैं! इस डींग-हंकाई से कुछ ही महीने पहले ट्रम्प और मेलानिया का ‘प्रेम-विवाह’ हुआ था।

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अब आते हैं देसी मुद्दे पर

TV पर एक रियलिटी शो आया है- लॉकअप! कंगना रनोट इसमें होस्ट हैं तो जाहिर है कि आतिशबाजी का पूरा इंतजाम होगा। शो के शुरुआती एपिसोड में तहसीन पूनावाला कैदी बनकर आए। पूनावाला राजनीतिक विश्लेषक हैं और अक्सर इंचीटेप से नापकर बोलते हैं। हालांकि, लॉकअप में उन्होंने खूब बोला और यहां तक बता गए कि वो एक बड़े बिजनेसमैन की बीवी के साथ रात बिता चुके हैं, वो भी पतिदेव की रजामंदी से।

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पूनावाला ने महिला की सहमति के बारे में कुछ नहीं बताया। ये जरूरी भी नहीं था क्योंकि कामयाब मर्दों के साथ भला कौन-सी औरत रात नहीं बिताना चाहेगी! वैसे पूनावाला ने ये जरूर कहा कि उनकी पत्नी ये बात जानती है और उसे कोई ऐतराज नहीं।

किसी पुरुष के साथ कितनी स्त्रियां रह चुकी हैं, इसका मर्दानगी से सीधा रिश्ता है, कम से कम पुरुष यही समझते हैं। वे इस बात की शेखी भले न बखारें कि दफ्तर में कितना टारगेट पूरा किया, या फिर कितने भूखों को रोटी खिलाई, लेकिन ये बताना नहीं भूलते कि कितनी और किस-किस उम्र की हसीनाएं उन पर जान छिड़कती हैं।

अजी, बस चले तो मर्द अपने बायोडेटा में एक कॉलम ये भी जोड़ लें। आखिर यही तो वो बात है, जो मर्द को कब्र में जाने तक जवांमर्द बनाए रखती है।

औरतों के साथ अपने मनगढ़ंत रिश्तों को चाट मसाला बुरककर परोसने वाले मर्द सिर्फ दोस्तों के आगे फन्ने-खां नहीं बनते, वे वैज्ञानिकों के बीच भी यही बात दुहराते हैं। साल 2018 में ग्लासगो यूनिवर्सिटी ने पुरुषों और महिलाओं पर एक स्टडी की, जिसे नाम दिया- नेशनल सर्वे ऑफ सेक्सुअल एटिट्यूड्स एंड लाइफस्टाइल्स। 15 हजार से ज्यादा लोगों से इसमें उनके यौन साथियों को लेकर सवाल हुए।

सर्वे में शामिल 16 से 74 साल के मर्दों ने माना कि उन्होंने कम से कम 14 महिलाओं से संबंध बनाए। बहुतों ने ये भी कहा कि वो इतनी महिलाओं के साथ रहे कि अब गिनती करनी भी छोड़ दी है। ज्यादातर ने माना कि साथ सोने-वालियों से उनका दिल का कोई रिश्ता नहीं था, लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्योंकि इससे पौरुष बढ़ता है।

जी हां, औरतों के करीब रहते मर्द में मर्दानगी वैसे ही उफनती है, जैसे दो लीटर के बर्तन में सवा दो लीटर दूध का खौलना। ऐसा पुरुष हरदम ‘जरूरत से ज्यादा’ जवान रहता है, भले ही उसके दांत झड़ जाएं, चलते हुए टांगें कांपें या फिर हाजमा चौबीसों घंटे खराब रहे।

स्त्रियों की कहानी अलग है। ग्रीक दार्शनिक और गणितज्ञ अरस्तु ने खूब गुणाभाग करके पक्का किया कि औरतें दरअसल एक ही मकसद के साथ जन्म लेती हैं- संतान जन्म। जैसे ही पुरुष अपना बीज उसमें रोपे, उसका काम खत्म हो जाता है।

अब स्त्री ऐसा सामान है, जो बेकार है और जगह घेर रही है। Book III में अरस्तु कहते हैं, आत्मा-विहीन होने के कारण औरत जल्दी बूढ़ी हो जाती है, जबकि उसका हमउम्र पुरुष लगातार ताकतवर होता जाता है। ये ताकत और बढ़ती है, जब उसे नई और युवा लड़कियों का साथ मिले।

ईसा पूर्व 6वीं सदी में डाओइज्म नाम की एक जीवनशैली थी, जिसमें कहा गया कि कोई पुरुष जितनी ज्यादा स्त्रियों से जुड़ेगा, उसकी उम्र उतनी ज्यादा लंबी होगी।

ईसा पूर्व 6वीं सदी में डाओइज्म नाम की एक जीवनशैली थी, जिसमें कहा गया कि कोई पुरुष जितनी ज्यादा स्त्रियों से जुड़ेगा, उसकी उम्र उतनी ज्यादा लंबी होगी।

कसरत से ताकत नहीं बढ़ेगी, शिलाजीत के डिब्बे खाली करना भी उतनी मर्दानगी नहीं देगा, जितना किसी युवा और अनछुई स्त्री के करीब जाना। मॉडर्न चीन के बेहद ताकतवर नेता माओ जेडांग का इस बात पर गहरा यकीन था। उनके फिजिशियन और करीबी रह चुके डॉक्टर ली जिसुई ने अपनी किताब ‘द प्राइवेट लाइफ ऑफ चेयरमैन माओ’ में स्वामी के अजीबोगरीब शौक का जिक्र किया है। कुल 663 पेज की इस किताब में ली बताते हैं कि कैसे पूरी आर्मी इस बात को पक्का करती थी कि हर रात माओ के पास एक नई लड़की सप्लाई हो सके।

ली लिखते हैं, ‘जैसे-जैसे माओ की उम्र बढ़ती गई, वे युवा लड़कियों को लेकर और जिद्दी होते गए। उनका कहना था कि जवान लड़कियों के संग रहना उनकी उम्र और ताकत बढ़ाएगा।’ चीन को सबसे ताकतवर देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर चुके माओ की ये सोच हवा में भभूत की तरह पैदा नहीं हुई, बल्कि चीन की लोकगाथाओं में यही बात कही गई थी। ईसा पूर्व 6वीं सदी में डाओइज्म नाम की एक जीवनशैली थी, जिसमें कहा गया कि कोई पुरुष जितनी ज्यादा स्त्रियों से जुड़ेगा, उसकी उम्र उतनी ज्यादा लंबी होगी।

लॉकअप के एपिसोड के बाद पूनावाला ने अपने बयान को स्टंट बताया। हालांकि कि, वो ये भूल गए कि उनकी पत्नी सुन रही थी। साथ में पूरे मुल्क की औरतें सुन रही थीं कि इंसाफ-पसंद बातें करता पुरुष, कैसे औरतों के मामले में चीनी नेता का भारतीय संस्करण हो सकता है। वे देख रही थीं कि कैसे कोई औरत, मर्दों के लिए झालमूरी का ठोंगा हो जाती है, खोलो, चटखारे भरो और फेंक दो। वो देख रही हैं कि कंपनी के लिए वफादारी की कसमें खाता उनका मजबूत साथी, रिश्तों में कैसे भुरभुरा जाता है।

पूनावाला के ‘मर्दानेपन’ पर उनकी पत्नी ने शायद उन्हें माफ कर दिया हो, लेकिन ज्यादातर औरतों का कलेजा इतना फौलादी नहीं। वे खुद को इंसान मानती हैं, कोई दवा नहीं, जिसका काम उम्र या ताकत बढ़ाना हो।

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