GOOD NEWS : ट्रक आपरेटर्स की हड़ताल खत्म, फिर से शुरू होंगी सेवाएं
 Aug 13, 2020, 11:07 IST
                                    
                                 
   भोपाल. ट्रक आपरेटर्स ने बुधवार रात 12 बजे अपनी हड़ताल खत्म कर दी। परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि प्रदेश में ट्रक आपरेटर्स की मांगों पर शासन द्वारा आश्वासन के बाद संघ द्वारा बुधवार रात 12 बजे हड़ताल समाप्त की घोषणा की गई है। आपरेटर्स संघ के पदाधिकारी अपनी मांगों के संबंध में आज को परिवहन मंत्री से सागर में चर्चा करेंगे। ट्रक आपरेटर्स विगत 10 अगस्त से अपनी 4 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर थे। हडताल समाप्ति के बाद कल से ट्रक आपरेटर्स अपनी सेवायें पूर्ववत जारी रखेंगे। 
 
 
 
   परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने कहा कि ट्रक आपरेटर्स संघ के पदाधिकारियों को परिवहन मंत्री राजपूत की अध्यक्षता में उनकी मांगों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। बैठक में इंदौर ट्रक आपरेटर्स एंड ट्राँसपोर्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीएल मुकाती, उपाध्यक्ष विजय कालरा, राकेश तिवारी एवं चतर सिंह भाटी के साथ डीजल मूल्य वृद्धि, कोरोना अवधि में गुडस टैक्स एवं पैनल्टी पर माफी एवं ट्रक ड्राइवर को कोरोना योद्धा मानकर बीमा सुरक्षा कवच प्रदान किये जाने संबंधी बिन्दुओं पर चर्चा की जायेगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा बस ऑपरेटर्स द्वारा कोरोना अवधि में टैक्स माफ किए जाने की मांग पर प्रदेश के प्रमुख बस आपरेटर्स के साथ विचार-विमर्श किया जायेगा। 
 
 
  हड़ताल से आम लोगों को मुश्किलें 
 
 
 
   एसोसिएशन का ने दावा किया था कि करीब 7 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रर्ड वाहनों के पहिए हड़ताल के कारण थम गए थे। फल, सब्जी, दूध और इमरजेंसी उत्पादों पर हड़ताल का असर दिखाई दिया था। इसके अलावा ऑपरेटर्स की मांग थी कि कोरोना काल में ट्रकों के पहिए थमे हुए थे, जिसकी वजह से आमदनी नहीं हो पाई है और ऑपरेटर्स नुकसान में हैं। लिहाजा ट्रक ऑपरेटर्स को टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। इसके साथ ही कोरोना काल में ट्रक ड्राइवर का बीमा कराया जाए। 
 
 
  क्या थी मांग 
 
 
 
   आरटीओ सीमाओं के चैक पोस्ट खत्म किया जाए 
 
 
 
   डीजल पर वैट में कमी की जाए 
 
 
 
   रोड टैक्स में छह महीनों की छूट दी जाए 
 
 
 
   ड्राइवरों का कोविड बीमा कराया जाए 
 
 
  मध्यप्रदेश में हड़ताल का असर 
 
 
 
   ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के बाद बुरहानपुर से केला और कपड़ा निर्यात नहीं हुआ। परचून भी सिर्फ 30 फीसदी ही जिले में आ पाया। फल-सब्जियों के निर्यात पर करीब 20 से 25 प्रतिशत असर पड़ा। 10 हजार से ज्यादा लोगों के रोजगार पर असर पड़ा।एक दिन में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ। 
  
 
  
  
   
    
  
 
 
 
 