REWA : अग्रसेन बुक एजेंसी का मामला : प्रशासन ने अपनी ही जांच को बताया गलत, दुकान चलाने की मिली अनुमति : किताबों पर नई चिट चिपकाकर अधिक पैसा वसूलने का आरोप

 
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रीवा। शहर के सिरमौर चौक के रमागोविंद कॉम्पलेक्स में किताबों की दुकान अग्रसेन बुक एजेंसी को प्रशासन ने संचालित करने की अनुमति दे दी है। बीते 11 जुलाई को शिकायत मिलने पर एसडीएम सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर शिकायत की तस्दीक की और उसके बाद दुकान को सील कर दिया था। शहर के व्यापारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और कहा कि गलत तरीके से दुकान को बंद किया गया है, यदि प्रशासन नहीं खोलेगा तो शहर में व्यापारियों द्वारा आंदोलन किया जाएगा। राजनीतिक दबाव भी व्यापारियों के साथ था, जिसके चलते आनन-फानन में अधिकारियों ने पंचनामा रिपोर्ट तैयार की और दुकान को खोले जाने की अनुमति दे दी है।

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रेवांचल बस स्टैंड व्यापारी संघ की ओर से अपर कलेक्टर नीलमणि अग्रिहोत्री से चर्चा की गई और ज्ञापन देकर पूछा गया कि सौरभ अग्रवाल के अग्रसेन बुक एजेंसी को किस नियम के तहत बंद किया गया है यह भी बताया जाए। कांग्रेस नेता मनीष गुप्ता के नेतृत्व में पहुंचे व्यापारियों ने कहा कि यदि दुकान नहीं खोली जाएगी तो वह शहर में प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे। इसके बाद एक पंचनामा तैयार किया गया और उसमें लिखा गया कि बीते 11 जुलाई को शिकायत मिलने पर जांच कार्रवाई के चलते दुकान को बंद कराया गया था। अब जांच पूरी हो गई है इसलिए दुकान को खोलने की अनुमति दी जा रही है। इस पंचनामा में नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला, व्यापारी कमलेश अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल, हेमंत अग्रवाल, मनोज अग्रवाल आदि ने भी हस्ताक्षर किए। इस पंचनामा में यह भी लिखा है कि यह कार्रवाई कलेक्टर के निर्देश पर की जा रही है। एक ओर जहां दुकान फिर से खोले जाने पर व्यापारियों ने प्रसन्नता जाहिर की है वहीं अभिभावकों ने कहा है कि राजनीतिक दबाव के चलते यह सब किया जा रहा है।

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दुकान पर यह आरोप थे
अग्रसेन बुक एजेंसी पर यह आरोप था कि स्कूलों की किताबों का जो वास्तविक रेट है, उसके ऊपर अपनी नई चिट चिपकाकर अधिक रुपए वसूल की जा रही थी। इससे कई अभिभावकों की ओर से शिकायत की गई थी। कुछ पुलिस के आरक्षकों ने एसपी से भी शिकायत की थी, जिस पर एसपी के कहने पर ही एसडीएम मौके पर पहुंचे थे और कार्रवाई की थी। उक्त दुकान शहर की प्रमुख पुस्तक विक्रेता दुकान है। यहां से अधिकांश बड़े स्कूलों की किताबें बेची जाती हैं। पहले भी मनमानी वसूली के आरोप लगते रहे हैं।

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