REWA : अपने बेटे को देख डबडबा आंई माँ की आंखे "खुशियों की दास्तां"
रीवा। माँ और बेटे का बहुत ममतामई संबंध होता है। यदि माँ-बेटे कुछ माह एक दूसरे को न देखे तो माँ का मन अपने बेटे से मिलने के लिये लालायित हो जाता है। माँ चाहे साधारण गृहणी हो या कारागार कोठरी में बंद माँ। ऐसा ही एक उदाहरण यहां देखने को मिला जब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी केन्द्रीय जेल में बंदियों से मुलाकात करने पहुंचे तो एक महिला बंदी ने उनसे अपने बेटे से मुलाकात कराने का अनुरोध किया तथा कहा कि काफी लंबे अर्से से अपने बेटे से नहीं मिल पायी है। उसका पति बेटे से मुलाकात कराने के लिये जेल नहीं लाते है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों ने महिला बंदी का अनुरोध सुन पूरी संवेदनशीलता के साथ उसके पति को बेटे के साथ केन्द्रीय जेल आने के आदेश दिये। जब महिला बंदी का पति उसके बेटे को लेकर आया तो अपने बेटे से काफी लंबे अर्से के बाद मिलने पर महिला बंदी की आंखे डबडबा आर्इं। उसने कहा कि विधिक सहायता के माध्यम से उसे बेटे से मिलना संभव हुआ।
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