REWA : मोहल्ले के बीच बने मुक्तिधाम को लेकर विवाद : सड़क पर शव रखकर लगाया जाम, एसपी और एसडीएम ने निकाला समाधान
रीवा जिले के सगरा थाना अंतर्गत हरिहरपुर गांव में मोहल्ले के बीच बने 5 दशक पुराने मुक्तिधाम को लेकर अक्सर विवाद होता था। मंगलवार को एक बार फिर दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। बताया गया कि सोमवार की रात 108 वर्षीय लतादेवी साकेत की सामान्य तरीके से मौत हो गई थी। जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए मंगलवार की सुबह परिजन तैयारी कर रहे थे। इसी बीच गांव का दूसरा पक्ष बस्ती के बीच अपने घर के सामने संस्कार कराने से मना कर दिया।
जिसके बाद पहले पक्ष के लोगों ने सड़क पर शव रखकर जाम लगा दिया। बवाल की सूचना के बाद पहुंची सगरा पुलिस ने समझाइश दी, लेकिन पुलिस की बात मानने के लिए ग्रामीण तैयार नहीं हुए। जबकि मृतक पक्ष को अंतिम संस्कार करने से मतलब था। वहीं गांव के जागरूक वर्ग को स्थायी मुक्तिधाम की आवश्कता थी। आनन फानन में थाना प्रभारी ने पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों को मौके पर बुलाया। जिसके बाद मुक्तिधाम के लिए स्थायी जमीन एलाट की गई और मृतका का अंतिम संस्कार किया गया।
थाना प्रभारी ने निकाला समाधान का तरीका
सगरा थाना प्रभारी उपनिरीक्षक ऋषभ सिंह बघेल ने बताया कि हरिहरपुर गांव का यह कुछ माह के अंदर तीसरी बार विवाद हुआ है। इसके पहले भी दो बार गांव के लोग स्थायी मुक्तिधाम की मांग को लेकर निधन के समय ही प्रदर्शन कर चुके है। लेकिन किसी कारण बात नहीं बन पा रही थी। ऐसे में मंगलवार की सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक चले बवाल के बाद एसपी राकेश सिंह और एसडीएम व तहसीलदार को मौके पर बुलाकर स्थायी समाधान निकालने की कोशिश की गई।
हरिहरपुर और अजगरा गांव के बीच बना मुक्तिधाम
ग्रामीणों ने बताया कि करीब पांच दशक पहले गांव में एक मुक्तिधाम था, लेकिन आरक्षित जमीन के पास अब मोहल्ला बस गया है। साथ ही अगल-बगल सैकड़ों लोगों का परिवार रहता है। साथ ही आने-जाने का रास्ता नहीं है। ऐसे में घर के अंदर अंतिम संस्कार कराना उचित नहीं है। तब दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद एसडीएम ने हरिहरपुर और अजगरा गांव के बीच पड़ी सरकारी जमीन को स्थायी मुक्तिधाम के लिए स्वीकृत कर दी। इसके बाद दोपहर एक बजे मृतका का अंतिम संस्कार कराया गया। साथ ही गांव के लोग आने वाले भविष्य के लिए राहत की सांस ली है।
तो खूनी संघर्ष में बदल जाता आज का बवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि जिस वर्ग को अंतिम संस्कार करना था। उनके घर दूर दराज बने हुए है। ऐसे में उनको सिर्फ दबाव बनाकर अंतिम संस्कार करना था। हर बार उस वर्ग के लोग अंतिम संस्कार के समय धरना-प्रदर्शन करते हुए आ रहे है। जबकि राजस्व विभाग खानापूर्ति कर मामले को रफा दफा करा देता था। पिछली बार तहसीलदार मैडम मुक्तिधाम के लिए जमीन स्वीकृत करने की बात कही थी। लेकिन कुछ दिन बाद फिर भूल गई थीं।