MP : भोपाल में हर दिन बच्चों के साथ हो रही हिंसा : लगातार दोगुना बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ, इंटरनेट और मोबाइल फोन से ज्यादा अपराध बढ़े

 

MP : भोपाल में हर दिन बच्चों के साथ हो रही हिंसा : लगातार दोगुना बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ, इंटरनेट और मोबाइल फोन से ज्यादा अपराध बढ़े

भोपाल के ऐशबाग में 10 साल की एक बच्ची के सिर से 6 महीने पहले पिता का साया उठ गया। इसके बाद बच्ची पर मां और चाचा का कहर टूटने लगा। मां ने बात-बात पर उसे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। बच्ची को घर छोड़कर भागना पड़ा। एक मंदिर से 13 दिन पहले चाइल्ड लाइन लाई गई बच्ची के जिस्म पर बेल्ट और डंडे से पीटे जाने के जख्म मिले हैं। एक आंख पर गहरा घाव है।

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दूसरी घटना पिपलानी की है। यहां 11 दिन पहले 13 साल की छात्रा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। जब छात्रा के कहने पर मां-बाप मनचलों को समझाने गए तो आरोपियों ने उनके साथ भी मारपीट कर दी। तीनों आरोपी कॉलेज के छात्र निकले थे।

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ऐशबाग और पिपलानी की ये दो घटनाएं सिर्फ बानगी हैं। भोपाल में हर दिन बच्चों से जुड़े अपराध हो रहे हैं। लॉकडाउन का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव बच्चों पर पड़ा है। इस दौरान बच्चे सबसे ज्यादा हिंसा का शिकार हुए। यह हम नहीं बल्कि चाइल्ड लाइन के आंकड़े बताते हैं। बच्चों से होने वाले अपराधों का ग्राफ दोगुना बढ़ गया। 2018-19 में चाइल्ड लाइन के पास ऐसे 154 मामले पहुंचे थे। 2020-21 में यह संख्या 300 पहुंच गई। यानी भोपाल में हर दिन करीब एक बच्चे पर अत्याचार का मामला सामने आ रहा है। यह तो चाइल्ड लाइन तक पहुंचे मामले हैं, कई मामलों में तो रिपोर्ट तक ही नहीं हो पाती है।

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MP में 2 साल से अपराध का रिकॉर्ड जारी नहीं किया

लॉकडाउन लगने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने अपराध संबंधी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। 2019 में नेशनल अपराध रिकॉर्ड को आखिरी बार जानकारी भेजी गई थी। उस दौरान इंदौर के बाद भोपाल में सबसे ज्यादा बच्चों पर अपराध हुए थे। इंदौर में बच्चों के खिलाफ 395 अपराध हुए थे, जबकि भोपाल में 375 केस थे। ये केस पुलिस में दर्ज हुए थे। इसके अलावा भोपाल में बच्चियों से सबसे ज्यादा छेड़छाड़ के 221 और ज्यादती किए जाने के 152 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भोपाल बच्चों के लिए असुरक्षित हो रहा है।

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इंटरनेट और मोबाइल फोन से ज्यादा अपराध बढ़े

चाइल्ड लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन में बच्चों पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। इस दौरान माता-पिता के झगड़े का शिकार बच्चे हुए हैं। इसके अलावा मोबाइल फोन और इंटरनेट ने बच्चों पर अपराध को ग्राफ बढ़ा दिया। इससे बच्चे ऑनलाइन और अश्लील साइट्स के साथ ही अन्य तरह के अपराध में फंस गए। इस कारण मध्यप्रदेश में अब बच्चों के प्रति अपराध को रोकने के लिए अभियान भी शुरू किया गया है।

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मासूमों पर अपराध रोकना जरूरी

भोपाल चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय ने बताया कि लॉकडाउन का सबसे खराब असर किसी पर पड़ा है, तो वे बच्चे हैं। मासूमों को घर में कैद होकर रहना पड़ रहा है। स्कूल, खेल और मार्केट आदि बंद होने से वह मानसिक तनाव होने लगा है। घर में भी आर्थिक और कई कारणों से घरेलू हिंसा बढ़ी है। इसका भी सबसे ज्याद खामियाजा बच्चों को ही भुगतना पड़ रहा है। इस कारण बच्चों पर अपराध रोकना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।

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बच्चों पर हिंसा की यहां शिकायत करें

सीएम हेल्प लाइन नंबर : 181

पुलिस : 100

चाइल्ड लाइन नंबर : 1098

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