MP : महाकाल का रक्षाबंधन : रक्षाबंधन पर्व पर दुनिया में सबसे पहले भगवान महाकाल को बांधी जाती है राखी : पढ़िए पूरी परंपरा की कहानी

 
     MP : महाकाल का रक्षाबंधन : रक्षाबंधन पर्व पर दुनिया में सबसे पहले भगवान महाकाल को बांधी जाती है राखी : पढ़िए पूरी परंपरा की कहानी

रक्षाबंधन पर्व पर दुनिया में सबसे पहली राखी भगवान महाकाल को ही पहनाई जाती है। यही नहीं, पर्व मनाने के लिए केवल एक दिन भस्मारती भी बाबा को राखी बांधने के बाद ही की जाती है। ये राखी तैयार करने और पहनाने वाली महिलाएं पूरे सावन माह में व्रत-उपवास रखती हैं। कई सख्त नियमों का पालन करती हैं। करीब एक सप्ताह की मेहनत के बाद बाबा महाकाल को ध्यान में रखकर हाथों से राखी तैयार करती हैं।

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भगवान महाकाल को भाई मानकर और मंगल गान गाकर राखी तैयार की जाती है। ये महिलाएं महाकाल को राखी बांधने के बाद वहां से मिलने वाले प्रसाद से ही व्रत खोलती हैं। राखी बांधने की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। सबसे पहले पुजारी के घर की महिलाएं व बहनें ही महाकाल को राखी बांधती हैं। 

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दो साल से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए महाकाल के गर्भगृह में केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति है, लेकिन चूंकि यह परंपरा अखंड है, इसलिए कलेक्टर आशीषसिंह ने पुजारी परिवार की महिलाओं को भगवान महाकाल को राखी बांधने के लिए विशेष अनुमति दी है। महाकाल के पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि इतनी जल्दी राखी बांधने की परंपरा कहीं भी नहीं है। सबसे पहली राखी भगवान महाकाल को ही बांधी जाती है।

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MP : महाकाल का रक्षाबंधन : रक्षाबंधन पर्व पर दुनिया में सबसे पहले भगवान महाकाल को बांधी जाती है राखी : पढ़िए पूरी परंपरा की कहानी

महाकाल मंदिर में कुल 16 पुजारी हैं। ये जनेऊ पाती और खूंट पाती परिवार के होते हैं। हर परिवार को छह-छह माह के लिए भस्मारती का जिम्मा सौंपा जाता है। जो परिवार सावन के दिनों में भस्मारती करते हैं, केवल उनके ही परिवार की महिलाएं व बहनें महाकाल को राखी पहनाने अंदर जा सकती हैं। इस बार संजय पुजारी व अजय पुजारी की ओर से भस्मारती की जा रही है, इसलिए राखी पर उनके परिवार की 5 महिलाएं महाकाल को राखी बांध सकेंगी। ममता शर्मा, उमा शर्मा, मनु शर्मा, मुदिता शर्मा और अदिति शर्मा इस बार रक्षाबंधन पर सबसे पहले महाकाल को राखी बांधेंगी। उमा शर्मा बताती हैं, इस प्रक्रिया में तीन साल में एक बार भगवान महाकाल को राखी बांधने का सौभाग्य मिलता है।

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ऐसे तैयार होती है महाकाल की राखी

सावन का महीना पवित्र माना जाता है। राखी तैयार करने और पहनाने वाली महिलाएं पूरे माह व्रत रखती हैं। कुछ महिलाएं हरी सब्जियां और पसंदीदा व्यंजन भी नहीं खातीं। राखी तैयार करने में पूरा परिवार ही जुटा रहता है। भगवान की राखी का सभी सामान भी कीमती होता है। राखी तैयार करने के सामान का बहनें बहुत श्रद्धा और भक्तिभाव से चयन करती हैं।

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इस बार क्या है खास

ममता शर्मा बताती हैं, चूंकि इस बार रक्षाबंधन का पर्व रविवार को है, इसलिए राखी भी भगवान सूर्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। सूर्य के आकार की राखी तैयार करने में मेहनत जरूर लगी है, लेकिन वह हमारी श्रद्धा के आगे कुछ भी नहीं। इसे तैयार करने में करीब एक सप्ताह का समय लगा है।

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रात 2 बजे ही पहुंच जाते हैं मंदिर

महाकाल को राखी बांधने के लिए पुजारी परिवार की महिलाएं देर रात 2 बजे ही पहुंच मंदिर पहुंच जाती हैं। वे राखी बांधने तक मंत्रोच्चार करती हैं। राखी बांधने के बाद महाकाल से मिले प्रसाद से ये महिलाएं व्रत खोलती हैं। इसके बाद परिवार के भाइयों को राखी बांधी जाती है।

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क्या करते हैं इस राखी का

भगवान महाकाल को जो राखी चढ़ाई जाती है, उस राखी का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह राखी जन्माष्टमी तक दर्शनार्थ रखी जाती है। कई श्रद्धालु इसका दर्शन करने आते हैं। अन्य मंदिरों में इसे प्रदर्शित किया जाता है।

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मनु शर्मा कहती हैं, हम सौभाग्यशाली हैं कि विश्व में सबसे पहली राखी भगवान भोलेनाथ को बांधने का सौभाग्य मिला। सभी महिलाएं महाकाल को अपना भाई मानती हैं। उनसे हम पूरे विश्व के कल्याण की कामना करते हैं। इस बार फिर हम कोरोना से मुक्ति दिलाने की भगवान से प्रार्थना की, ताकि सबकुछ पहले जैसा हो जाए।

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