भारतीय छात्रों का बुरा हाल : Sagar संभाग के चार जिलों के 10 छात्र यूक्रेन बुरी तरह फंसे : रात मेट्रो स्टेशन में काटी, नहीं मिला खाना-पीना

 

भारतीय छात्रों का बुरा हाल : Sagar संभाग के चार जिलों के 10 छात्र यूक्रेन बुरी तरह फंसे : रात मेट्रो स्टेशन में काटी, नहीं मिला खाना-पीना

यूक्रेन पर रूस के द्वारा किए गए हमले के बाद सागर संभाग के चार जिलों के 10 छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में बुरी तरह फंसे हुए हैं। इनमें टीकमगढ़ के सबसे ज्यादा पांच, सागर के तीन, दमोह और छतरपुर जिले का एक-एक छात्र शामिल है। युद्ध के हालातों के बीच यूक्रेन में फंसे इन भारतीय छात्रों का हाल बुरा है। किसी को 24 घंटे से खाना नहीं मिला तो कोई बंकर और मेट्रो स्टेशन में छिपकर जागकर पूरी रात गुजार रहा है।

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बाहर चारों तरफ बम धमाकों की आवाजें गूंज रही हैं। सड़के सुनसान हैं। चारों ओर आग व धुआं फैला है। छात्र डरे-सहमे हुए हैं जो बंकर, सुरंग व मेट्रो स्टेशन से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। भारतीय दूतावास लगातार छात्रों के संपर्क में है लेकिन अभी तक उन्हें यूक्रेन से बाहर निकालने के लिए कोई इंतजाम छात्रों तक नहीं पहुंचा है। टीकमगढ़ जिले से 6 छात्र यूक्रेन में थे। इनमें से एक छात्रा ही प्लेन के जरिए दिल्ली पहुंच सकी है। अभी दो छात्र और तीन छात्राएं यूक्रेन में अपनी घर वापसी की राह देख रहे हैं।

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बीना के शाश्वत : उजरोत शहर में फंसे, भाई ने सीएम हेल्पलाइन पर दी सूचना

बीना के सर्वोदय चौराहा क्षेत्र में रहने वाले शाश्वत जैन भी यूक्रेन के उजरोत शहर में फंसे हुए हैं। वे उजरोत नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। भाई सिद्धार्थ जैन ने बताया कि शाश्वत को वापस लाने सीएम हेल्पलाइन पर उसके वहां फंसे होने की सूचना दी है। वह अभी पूरी तरह सुरक्षित है। यूक्रेन से बाहर निकालने के लिए भारतीय दूतावास का अभी तक शाश्वत से कोई संपर्क नहीं हुआ है।

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यूक्रेन से निकलकर दिल्ली आई बेटी, परिजन के चेहरे पर खुशी

टीकमगढ़ शहर के हिमाचल की गली में रहने वाले संतोष जैन की बेटी विधि जैन यूक्रेन के खार्किव से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं। युद्ध की स्थिति को देखते हुए विधि ने तुरंत ही परिजन को जानकारी दी। वहां से निकलने की तैयारी की। खार्किव शहर से कीव एयरपोर्ट जाने के लिए निकली तो हमले की स्थिति और तेज हो गई। जब कीव से प्लेन में बैठकर जैसे ही रवाना हुई तो रूस की सेना ने एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया। बेटी विधि अब दिल्ली पहुंच गई है। जिससे परिवार के लोगों के चेहरे पर खुशी है।

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बहन बोली: बंकर से बाहर नहीं निकल पा रहा भाई

दमोह जिले के हटा ब्लॉक के हरदुआ उमराव में रहने वाले आशीष पटेल यूक्रेन के खराचोव शहर में है। जब से वहां पर हमला हुआ है। वह घर में बंद होकर रह गया है। हमले तेज होने के बाद शुक्रवार को वह बंकर में जाकर छिप गया अौर बाहर नहीं निकल पा रहा है। आशीष की बहन हेमा ने बताया कि भाई जिस इलाके में है वहां काफी विस्फोट हो चुके हैं। हेमा ने कहा कि भाई से सिर्फ तीन मिनट बात हुई है। लगातार धमाके होने से भाई की मनोदशा अच्छी नहीं है। वह वापस आना चाहता है। लेकिन कोई साधन नहीं मिल रहा।

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रात मेट्रो स्टेशन में काटी, नहीं मिला खाना-पीना

छतरपुर जिले की गौरिहार तहसील के टिकरी गांव के रहने वाले हेमंत कुमार श्रीवास भी यूक्रेन के कारकियो शहर में फंसे हुए हैं। जो यूक्रेन-रूस बार्डर से 25 किलोमीटर दूर है। हेमंत ने बताया कि शहर में चारों ओर धमाके होने से आग और धुआं फैला हुआ है। पिछली रात उन्होंने भूखे-प्यासे मेट्रो स्टेशन में जगाते हुए बिताई है। पिता राजेन्द्र श्रीवास ने बताया कि हेमंत 2019 से वहां रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। वे शहर में खुद किराये से फ्लैट लेकर पढ़ाई कर रहा है।

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सिर्फ बिस्किट खाकर सुरंग में गुजरा रहे समय

टीकमगढ़ के कोतवाली थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक कैलाश विश्वकर्मा की बेटी मानसी यूक्रेन के खार्किव में पिछले तीन साल से रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। खार्किव शहर रूस की बाॅर्डर से लगा हुआ है। पिता कैलाश विश्वकर्मा ने बताया दो दिन पहले ही बेटी का फोन आया था कि यहां हालात बिगड़ रहे हैं। जिस पर तत्काल बेटी ने प्लेन की टिकट बुक की। शुक्रवार को पिता ने बेटी मानसी से बात की तो मानसी ने बताया कि यहां पर 24 घंटे से रुके हैं। खाना भी नहीं है। बिस्किट खाकर समय गुजार रहे हैं।

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हालात ठीक नहीं, रात भर अलार्म बजते रहते हैं

टीकमगढ़ के भेलसी निवासी रिटायर्ड एडीओ वीरेंद्र कुमार दुबे का 22 वर्षीय बेटा उत्कर्ष 4 साल से यूक्रेन के टर्नओपिल शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा है। उत्कर्ष ने पिता को वीडियो कॉलिंग करके कहा कि यहां पर बिल्कुल भी स्थिति ठीक नहीं है। कल रात में अलर्ट रहने का अलार्म बजाया गया। जिससे हम लोग बिल्डिंग से निकलकर नीचे आ गए और रात में बंकर में पांच घंटे तक रहना पड़ा। सुबह बंकर से बाहर निकले। हर पल दहशत में गुजर रहा है। भारतीय दूतावास से यहां से निकलने के लिए बात की है।

यहां से भारत आने की कोई व्यवस्थाएं नहीं

टीकमगढ़ शहर की डॉक्टर मांडवी साहू की भतीजी दिव्यांशी साहू भी यूक्रेन की राजधानी कीव में हैं। 2018 से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। जैसे ही यहां पर हमले की जानकारी मिली तो वे घबरा गईं। घर आने की तैयारी कर एयरपोर्ट के लिए निकली लेकिन वहां धमाका होने पर हवाई सेवाएं बंद कर दी गईं। जिससे सभी लोग मेट्रो में ही फंस गए। वहां बिजली सप्लाई भी कभी भी बंद हो सकती है। इसलिए ग्रुप में रहकर मोबाइल यूज कर रहे हैं। बाकी मोबाइल बंद कर दिए हैं। उसी के जरिए परिजन से बात कर रहे हैं। वहां से निकलने की अभी कोई व्यवस्था नहीं है।

भाई-बहन दोनों फंसे, भारत लौटने देख रहे राह

महर्षि विद्या पीठ बांदकपुर दमोह में प्रभारी राजेंद्र श्रीवास्तव बल्देवगढ़ के रहने वाले हैं। इनके बेटे आत्रे श्रीवास्तव और बेटी आर्या श्रीवास्तव दोनों यूक्रेन के डेनिप्रो में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। पिता राजेन्द्र का कहना है बेटा-बेटी अभी फ्लैट में हैं। दोनों भारत आने की राह देख रहे हैं। यूक्रेन में बने हालात के चलते वहां से निकल नहीं पा रहे हैं। हवाई सेवाएं बंद होने से भारत नहीं लौट पा रहे हैं। अब भारत सरकार ही बच्चों को वापस ला सकती है। यूक्रेन में चारों और धुआं और धमाके से सभी दहशत में हैं।

ओडेसा में फंसे, रोमानिया जाने की कर रहे तैयारी

रहली थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक दयाराम पटेल के बेटे अक्षय पटेल भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। हालांकि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। दयाराम लगातार बेटे से बात कर रहे हैं। बेटे के यूक्रेन में फंसे होने के बाद भी शुक्रवार को दयाराम अपनी ड्यूटी बकायदा करते रहे। अक्षय ने पिता को फोन पर बताया कि वह यूक्रेन के ओडेसा में सुरक्षित है। यूक्रेन से रोमानिया जाने की तैयारी कर रहा है। जो कि वहां से करीब 400 किलोमीटर दूर है। पिता दयाराम बताते हैं कि बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित तो हैं लेकिन लगातार बात हो रही है वह सुरक्षित है।

इवानो फ्रैंक्फिश में फंसे, अब रोमानिया ला रहे

वेदांश खरे यूक्रेन के इवानो फ्रैंक्फिश शहर से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। वेदांश भारतीय दूतावास के संपर्क में है। उसे बस से रोमानिया बॉर्डर ले जाया जा रहा है। पिता संदीप खरे ने बताया कि वेदांश पूरी तरह सुरक्षित है। जहां वह है वह स्थान कीव शहर से दूर है और पोलैंड की बॉर्डर से लगा है।

हॉस्टल में रहने के कारण उसे खाना-पीना मिल रहा है। भारतीय दूतावास से बताया गया है कि रोमानिया व हंगरी के रास्ते उन्हें यूक्रेन से बाहर निकाला जाएगा। कलेक्टर दीपक आर्य ने आश्वासन दिया कि वे राज्य शासन से बात कर उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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