REWA के प्रज्वल ने बताए यूक्रेन के हालत : कहा; सरकार मदद की जगह बिजनेस कर रही, दो फ्लाइट का किराया 97 हजार रुपए ...

 

REWA के प्रज्वल ने बताए यूक्रेन के हालत : कहा; सरकार मदद की जगह बिजनेस कर रही, दो फ्लाइट का किराया 97 हजार रुपए ...

REWA NEWS : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है। रूस की सेना यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क-डोनेट्स्क (डोनबॉस इलाके) में घुस चुकी है। इससे वहां फंसे भारत के हजारों छात्रों और उनके परिजनों की घबराहट बढ़ गई है। इनमें रीवा जिले के रहने वाले प्रज्ज्वल तिवारी भी हैं, जो यूक्रेन के टेरनोपिल शहर में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं। मंगलवार देर शाम वह जैसे-तैसे यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे। 

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प्रज्ज्वल ने बताया

भारत सरकार से अपेक्षा थी कि वह हमारी मदद करेगी, लेकिन हमें अपने बूते पर ही यहां से निकलने के प्रयास करने पड़ रहे हैं। जब यह पता चला कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है तो इंडियन एम्बेसी ने 14 फरवरी को फेसबुक पर एक एडवाइजरी जारी की थी। जिसमें कहा गया कि छात्र और अन्य लोग अस्थाई तौर पर यूक्रेन छोड़ दें। इसके जवाब में हमने करीब 500 मेल किए। जिसका सिर्फ एक जवाब आया- 'हम यूनिवर्सिटी के संपर्क में हैं।' जबकि हम यह चाहते हैं कि क्लासेस ऑनलाइन हो जाएं, ताकि पढ़ाई न रुके, लेकिन भारत सरकार ने कोई मदद नहीं की।

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प्रज्ज्वल ने बताया, 'यूक्रेन में भारत के 20 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेन के ट्रैवल एजेंट हमारी मदद कर रहे हैं। उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट्स भी अरेंज कराई हैं। किराया तीन से चार गुना हो गया है। सामान्य तौर पर कीव से दिल्ली का किराया 40 से 45 हजार रुपए है, लेकिन एयर इंडिया की फ्लाइट का किराया 65 हजार रुपए से ज्यादा है। सरकार मदद नहीं बिजनेस कर रही है। मुझे यूक्रेन एयर लाइंस की फ्लाइट में जगह मिल गई है। यह फ्लाइट कजाकिस्तान तक जाएगी। वहां से वह दूसरी फ्लाइट से दिल्ली पहुंचेंगे। दोनों फ्लाइट का किराया 97 हजार रुपए लगे। '

प्रज्ज्वल ने बताई यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स की परेशानी

प्रज्ज्वल ने बताया कि यूक्रेन पर रूस के हमले की हवा जनवरी में चलनी शुरू हो गई थी, लेकिन यहां उसका कोई ज्यादा असर नहीं था। वजह है कि यहां न्यूज चैनल व अन्य मीडिया पर इस तरह की कोई खबरें नहीं आ रही थीं। 10 फरवरी के आसपास जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो परिवार चिंतित हो गया। जबकि, यूक्रेन में कोई पैनिक न पहले था और अब भी नहीं है। जिस तरह की खबरें भारत व अन्य देशों में चल रही थीं, उससे परिवार को हमारी चिंता होना स्वभाविक है। एक दिन में 15 से 20 फोन घर-परिवार से आ रहे थे। इस कारण पढ़ाई में व्यवधान भी आ रहा था। यदि कॉल अटेंड न करें तो परिवार ज्यादा परेशान हो जाता है।

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इस बीच अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी के अलावा पाकिस्तान सरकार ने अपने देश के नागरिकों के बारे में चिंता व्यक्त कर एक्शन शुरू कर दिया, लेकिन भारत सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। 14 फरवरी को भारतीय दूतावास ने फेसबुक पर एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों से अस्थाई तौर पर यूक्रेन छोड़ने को कहा। जबकि यूक्रेन सरकार ने ऐसा कोई बयान अब तक जारी नहीं किया।

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हमने एम्बेसी से संपर्क किया, लेकिन संतुष्टि भरा जवाब नहीं मिला। दरअसल, स्टूडेंट्स की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि पढ़ाई का क्या होगा? हम चाहते हैं कि क्लासेस ऑनलाइन हों, ताकि देश लौटने के बाद भी पढ़ाई में ब्रेक न हो। मैंने 2 साल का कोर्स पूरा कर लिया है। थर्ड ईयर की पढ़ाई यदि ब्रेक हुई तो डिग्री नहीं मिलेगी। हमने इंडियन एम्बेसी से अनुरोध किया था कि वह यूनिवर्सिटी से संपर्क कर यह आश्वासन दिलाएं कि ऑनलाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाई कराएं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। एक सेमेस्टर की फीस 1 लाख 80 हजार रुपए से ज्यादा है। अगर इतना खर्च हमारा परिवार वहन कर पाता तो फिर हम भारत में ही पढ़ाई करते।

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रूस के हमले की आंशका के चलते करीब 10 हजार भारतीय स्टूडेंट भारी भरकम किराया लगाकर यूक्रेन छोड़ चुके हैं। हम भी अपने रिस्क पर देश छोड़ रहे हैं। अभी भी भारत के 5 से 7 हजार स्टूडेंट ऐसे हैं, जो किराया ज्यादा होने की वजह से परेशान हैं। मप्र सरकार के अफसरों ने जरूर हमसे बात की है, लेकिन हमारी मुख्य समस्या ऑनलाइन क्लास को लेकर है, जो अभी तक बनी हुई है।

यूक्रेन में मीडिया, टेलीकॉम सर्विसेस बंद, बाजार खुले

वहां के हालातों को बयां करते हुए प्रज्ज्वल ने बताया- हमले के डर से यूक्रेन सरकार ने टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विसेज ठप कर दी हैं। मीडिया बैन है। देश की पब्लिक परेशान न हो, इसलिए ऐसे कदम उठाए गए हैंं। हम लोग अपने लोगों से बात तक नहीं कर सकते। सिर्फ वॉट्सऐप कॉलिंग से काम चला रहे हैं।

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यूक्रेन में बाजार खुले हुए हैं। स्कूल-कॉलेज खुले हुए हैं। जनजीवन सामान्य तौर पर चल रहा है। यूक्रेन में शासन-प्रशासन की तरफ से कोई चेतावनी जारी नहीं हुई, लेकिन यहां प्रवासी नागरिकों के बीच पैनिक जरूर है। जब यह खबर आई कि रूस की सेना यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क-डोनेट्स्क (डोनबॉस इलाके) में घुस चुकी है, उसके बाद भी राजधानी कीव में बाजार खुले थे और जनजीवन सामान्य नजर आ रहा था।

हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं प्रज्ज्वल के पिता

प्रज्ज्वल तिवारी रीवा जिले की जवा तहसील के रामबाग गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता बुद्धि सागर गांव में ही हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। दो भाई और एक बहन में प्रज्जवल सबसे बड़े हैं। वह टेरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS सेकंड ईयर के छात्र हैं। जो करीब 1 साल 3 माह से यूक्रेन में हॉस्टल में रह रहे थे।

यूक्रेन से दिल्ली लौटे भारतीय बोले- फायरिंग की आवाज से डर जाते थे...

यूक्रेन में पढ़ रहे शिवम चौधरी मंगलवार रात विशेष विमान से दिल्ली लौटे। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में हालात सामान्य हैं। छात्र वापसी के टिकट बुक करा रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के चलते पैनिक फैला और हमारी पढ़ाई बाधित हुई। एक अन्य स्टूडेंट कृष राज ने कहा कि सीमा से बहुत दूर मैं पढ़ाई कर रहा था, वहां हालात सामान्य थे। हालांकि, भारल लौटकर राहत महसूस हो रही है।

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दूसरी ओर वहीं पर पढ़ रही तनवी का अनुभव अलग रहा। दिल्ली लौटने पर उन्होंने एक न्यूज चैनल को बताया कि पुलिस लगातार यूक्रेन में गश्त करती रहती है। हालात नॉर्मल नहीं हैं। रात को फायरिंग की आवाज सुनाई पड़ती थी, जिस सुनकर वे सहम जाती थीं। 

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