INDORE : कैलाश विजयवर्गीय की सक्रियता का खामियाजा मेंदोला को पड़ा महेंगा : विरोधी ने खुलकर किया विरोध

 
INDORE : कैलाश विजयवर्गीय की सक्रियता का खामियाजा मेंदोला को पड़ा महेंगा : विरोधी ने खुलकर किया विरोध

इंदौर। चार साल से भाजपा में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति कर रहे महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मध्यप्रदेश में सक्रियता का खामियाजा विधायक रमेश मेंदोला को भुगतना पड़ गया। २४ विधानसभा के उपचुनाव में उनकी मौजूदगी के संकेत ने विरोधियों को लामबंद कर दिया। मेंदोला को 'जमा' करने के खेल में कई दिग्गज नेता भी शामिल रहे हैं।


राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद विजयवर्गीय ने शिवराज सरकार का मंत्री पद छोड़ दिया था, तब से वे दिल्ली की राजनीति कर रहे थे और बंगाल में प्रभारी होने के नाते सक्रिय थे। इस फेर में प्रदेश भाजपा में उनकी भूमिका कम हो गई थी। सरकार बनने के बाद उनकी सक्रियता अचानक बढ़ गई। उपचुनाव में पांच विधानसभा की जिम्मेदारी लेने के बाद उन्होंने दौरे शुरू कर दिए, जो पार्टी के दिग्गज नेताओं को खटकने लग गए।


उपचुनाव में अपनी योग्यता बताने में वे एक बड़ी चूक कर गए। बदनावर विधानसभा में पार्टी ने कृष्णमुरारी मोघे को प्रभारी बनाया था। मोघे अपने हिसाब से सारी बिसात जमा रहे थे। इस बीच में विजयवर्गीय ने कलाकारी करते हुए बागी रहे राजेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करा दिया, जबकि मोघे से चर्चा चल रही थी। वे पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत को साधकर प्रवेश कराने के मूड में थे।


अपने कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप से मोघे नाराज हो गए तो शेखावत भी भड़क गए। उन्होंने विजयवर्गीय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाद में मोघे व शेखावत के साथ सुमित्रा महाजन भी हो गईं। तीनों नेताओं का गठबंधन हुआ। रणनीति बनाकर मोघे ने भोपाल के दिग्गज नेताओं को अपनी राय पेश कर दी।


ये भी दिया संदेश
पर्दे के पीछे की कहानी ये भी है कि तीनों नेताओं को दम भी भोपाल के कुछ नेता ही दे रहे थे, जो विजयवर्गीय की नो एंट्री में लगे हैं। उन्हें मालूम था कि मेंदोला मंत्री बन गए तो विजयवर्गीय को फिर से प्रदेश में पैर फैलाने की जगह मिल जाएगी। एक तीर से दो निशाने मारते हुए उन्होंने मेंदोला को मंत्री नहीं बनाते हुए विजयवर्गीय के कद को बौना भी बता दिया।

मोदी हैं नाराज
विधानसभा चुनाव में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के फॉर्मूले को दरकिनार करके विजयवर्गीय ने अपने बेटे आकाश को टिकट दिलाया था। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे नाराज थे। बची कसर आकाश ने बल्लाकांड में पूरी कर दी। इस पर मोदी ने संसदीय दल की बैठक में अपने भाषण में कहा कि ऐसे विधायक को पार्टी से बाहर करना चाहिए, चाहे वह कितने भी बड़े जवाबदार व्यक्ति का बेटा ही क्यों ना हो। मोदी की नाराजगी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से गृहमंत्री अमित शाह जैसी ट्यूनिंग नहीं होने की वजह से भी विजयवर्गीय ने दिल्ली में सक्रियता कम कर दी है। आए दिन वे इंदौर व मध्यप्रदेश में ही नजर आते हैं।




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