coronavirus vaccine : दुनिया भर में कई वैक्सीन ट्रायल, अगर वैक्सीन उपलब्ध हो तो सबसे पहले किसे मिलनी चाहिए?

 
coronavirus vaccine : दुनिया भर में कई वैक्सीन ट्रायल, अगर वैक्सीन उपलब्ध हो तो सबसे पहले किसे मिलनी चाहिए?

कोरोना के खिलाफ वैक्सीन लॉंच करने के लिए ए​क तरफ रूस चर्चा में है तो दूसरी तरफ, दुनिया भर में कई संभावित वैक्सीनों के ट्रायल अंतिम चरणों में हैं. ऐसे में केरल इस बात पर फोकस कर रहा है कि अगर वैक्सीन उपलब्ध होती है, तो उसे किस तरह इस्तेमाल किया जाएगा. इसका मतलब ये है कि ये तय करने की तैयारी हो रही है कि किन लोगों को पहले वैक्सीन का लाभ दिया जाएगा.


विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन का लाभ सबसे पहले उन लोगों को मिलना चाहिए, जिनके सामने जोखिम ज़्यादा है. इन लोगों को इनके काम और उम्र के हिसाब से तय किए जाने की ज़रूरत समझी जा रही है. आइए समझें कि विशेषज्ञ कैसे और क्यों वैक्सीन कार्यक्रम में प्राथमिकताएं तय करने को ज़रूरी मान रहे हैं.


कोविड वॉरियर्स

यह तो सभी कॉमन सेंस से समझ सकते हैं कि सबसे पहले वैक्सीन का लाभ उन लोगों को ही दिया जाना चाहिए जो कोरोना वायरस के रिस्क वाले ज़ोन में सबसे ज़्यादा हैं. विशेषज्ञ भी यही मान रहे हैं कि स्वास्थ्य महकमे के वो लोग, जो सीधे संक्रमण और रोगियों के साथ डील कर रहे हैं, सबसे पहले उन्हें ही इस वैक्सीन दी जाना चाहिए.


फ्रंटलाइन कोविड वॉरियरों में हेल्थकेयर कार्यकर्ताओं के अलावा, पुलिसकर्मी, वॉलेंटियर भी शामिल हैं. इसके बाद जो लोग संक्रमित हैं, उनमें से उम्र और संवेदनशील यानी ज़्यादा जोखिम में होने वाले लोगों को वैक्सीन दिए जाने की बात विशेषज्ञ कह रहे हैं. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप वारियर के मुताबिक 


जो रोज़ाना रोगियों के साथ डील कर रहे हैं और लगातार वायरस की ज़द में बने हुए हैं, स्वाभाविक तौर पर उन हेल्थकेयर वर्करों को वैक्सीन की पहली प्राथमिकता पर रखना चाहिए. पुलिसकर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही जो लोग महामारी को रोकने के लिए फील्ड पर हैं, उन्हें टॉप प्रायोरिटी पर रखना चाहिए. इसके बाद 60 साल से ज़्यादा उम्र वालों और पहले से गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को वैक्सीन वितरण में प्राथमिकता दी जाना चाहिए.
प्राथमिकता ज़रूरी


इनके अलावा, सुरक्षा क्षेत्र का एक समूह और ऐसा है, जिसे वैक्सीन का लाभ देने में प्राथमिकता पर रखा जाना चाहिए क्योंकि इस समूह के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत व्यावहारिक नहीं है. इस समूह में देश के सशस्त्र बल शामिल हैं जैसे सेना, नेवी, वायु सेना और बीएसएफ, आईटीबीपी और कोस्ट गार्ड जैसे सशस्त्र बल.


Related Topics

Latest News