REWA : रीवा में महापौर का पद अनारक्षित घोषित, जानिए कैसे होंगे राजनीतिक हालात, किसका रहेगा जोर

 

रीवा। नगर निगम रीवा में महापौर का पद अनारक्षित घोषित किया गया है। भोपाल में आयोजित किए गए आरक्षण प्रक्रिया कार्यक्रम में इसकी घोषणा की गई है। इस बात के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे कि इस बार अनारक्षित होगा महापौर का पद। इस वजह से तैयारियां पहले से कई नेताओं की ओर से की जाती रही हैं।


करीब दस वर्ष के बाद रीवा नगर निगम के महापौर का पद अनारक्षित हुआ है। इसके पहले महापौर भाजपा के वीरेन्द्र गुप्ता अनारक्षित वर्ग से चुने गए थे। उनके बाद पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित हुआ तो भाजपा के शिवेन्द्र पटेल महापौर बने। बीते जनवरी महीने में पूरे हुए कार्यकाल में पांच साल तक महापौर का दायित्व ममता गुप्ता ने निभाया। वह अनारक्षित महिला वर्ग में चुनाव जीती थी। अब आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही चुनावों की तिथियां भी घोषित होने की संभावना है। पार्षदों के लिए आरक्षण पहले ही पूरा किया जा चुका है।

भाजपा का लंबे समय से है कब्जा
रीवा के नगर निगम चुनाव में लगातार भाजपा का कब्जा रहा है। जब से महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होने लगे हैं तब से भाजपा ही जीतती आ रही है। पूर्व में जब पार्षदों से चयन होता था तब जरूर कांग्रेस ने अपना कब्जा किया था। इस बार भी भाजपा की तैयारी पूरी है। हर वार्ड के बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिया गया है। सांसद, विधायक सब भाजपा के हैं इसलिए यह चुनाव अधिक कठिन होने की संभावना नहीं है। हालांकि प्रत्याशी के चयन पर भी निर्भर होगा।

कांग्रेसी अभी गुटबाजी से ही नहीं उबरे
एक ओर भाजपा ने चुनाव की पूरी तैयारी कर रखी है, वहीं कांग्रेसी अभी गुटबाजी से ही बाहर नहीं निकल पाए हैं। कई गुटों में बंटी कांग्रेस अभी मैदानी स्तर पर तैयारी करने के बजाए अपने गुट का प्रत्याशी बनाने में समय बिताएगी। इसके बाद जिस गुट को टिकट मिलेगी उसे हराने में दूसरे जुट जाएंगे। ऐसा कई चुनावों से होता आया है। पिछले चुनाव में भी यही हुआ था। ऐन वक्त पर कांग्रेस की प्रमुख दावेदार रही कविता पाण्डेय का टिकट काटा गया था तो वह बगावत कर मैदान में उतर गई थी। कांग्रेस प्रत्याशी की बुरी तरह से हार हुई थी।

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