MP में अजीब विडंबना / जिस अस्पताल में काम किया, उसी की गैलरी में 6 घंटे तक लावारिस की तरह पड़ा रहा महिला कर्मचारी का शव

 

MP में अजीब विडंबना / जिस अस्पताल में काम किया, उसी की गैलरी में 6 घंटे तक लावारिस की तरह पड़ा रहा महिला कर्मचारी का शव

ग्वालियर. यह भी अजीब विडंबना है कि जिस अस्पताल में दिन भर उठना बैठना होता था। हंसी-ठहाके होते थे। वहां स्वास्थ्य कर्मचारी महिला का शव 6 घंटे तक लावारिसों की तरह स्ट्रेचर पर पड़ा रहा। कोई उसके शव को हाथ तक लगाने के लिए तैयार नहीं था। जो उसे कभी अपना अच्छा दोस्त मानते थे, वह मुंह मोड़ कर निकल गए। कुछ इस तरह का नजारा रविवार को मुरार जिला अस्पताल का था।

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यहां स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी मंगला दो दिन पहले कोविड संक्रमित हुईं। रविवार को उनकी मौत हो गई। पड़ोसी लगातार गुहार करते रहे कि उनके शव को डेड हाउस में रखवा दो। इसके बावजूद 6 घंटे तक शव लावारिसों की तरह पड़ा रहा। इसके बाद, शव वाहिका से महिला का शव डेड हाउस पहुंचाया गया। महिला का परिवार इंदौर में रहता है। फिलहाल उसका बेटा भी इंदौर में कोविड पॉजिटिव होने के कारण हॉस्पिटल में भर्ती है।

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आदर्श नगर गली नंबर एक निवासी मंगला बुरारे स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थीं। उनकी पदस्थापना मुरार प्रसूति गृह में थी। पास में ही मुरार जिला अस्पताल है। अक्सर मंगला यहां आकर बैठती थीं। मंगला का परिवार इंदौर में रहता है। वह नौकरी के चलते ग्वालियर में रह रही थीं। दो दिन पहले रात को जब मंगला बीमार हुई, तो पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर उन्हें बाहर निकाला और जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।

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स्टाफ ने भर्ती करने से किया इनकार

आदर्श नगर निवासी बबलू ने बताया, पड़ोसी ही उन्हें लेकर जिला अस्पताल मुरार पहुंचे थे। स्टाफ की सदस्य होने के बाद भी अस्पताल के डॉक्टर उन्हें भर्ती करने के लिए तैयार नहीं थे। कलेक्टर समेत वरिष्ठ अधिकारी जब अस्पताल आए, तो महिला को भर्ती किया जा सका था। अगले दिन महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। रविवार सुबह 9 बजे मंगला की मौत हो गई। इसके बाद स्टाफ ने शव को स्ट्रेचर पर रखा और जिला अस्पताल की गैलरी में छोड़कर चले गए।

छह घंटे बाद आई शव वाहिका

सूचना के बाद पड़ोसी वहां पहुंच गए। पड़ोसी लगातार जिम्मेदारों को फोन लगा रहे थे, लेकिन शव को ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी। छह घंटे तक शव गैलरी में पड़ा रहा। शाम 3 बजे के बाद शव वाहिका वाले ने फोन करके शव लेने आने की सूचना दी है। इसके बाद शव जिला अस्पताल से हट सका।

अपनों ने भी मोड़ लिया मुंह

कोविड से मंगला की मौत क्या हुई, जिला अस्पताल के उसके वो साथी जो हमेशा उसके साथ रहते थे, उन्होंने मुंह मोड़ लिया। वह स्ट्रेचर पर मृत पड़ी थी। लोग देखते हुए निकल रहे थे। अफसर भी कुछ नहीं कर रहे थे।

इकलौता बेटा भी इंदौर में संक्रमित

मृतका का एक बेटा है, वह भी इंदौर में कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित निकल चुका है। वहां वह कोविड हॉस्पिटल में भर्ती है, इसलिए वह मां के शव को लेने भी नहीं आ सकता।

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