REWA : हर साल प्रवेश के लिए हजारों की संख्या में छात्राएं रह जाती हैं वंचित, मांग पूरी बाद भी नया कालेज नहीं

 

REWA : हर साल प्रवेश के लिए हजारों की संख्या में छात्राएं रह जाती हैं वंचित, मांग पूरी बाद भी नया कालेज नहीं

रीवा। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए रीवा शहर में छह दशक पहले अलग महाविद्यालय की स्थापना हुई थी। तब और अब के प्रवेश लेने वालों की संख्या में कई गुना का अंतर हो गया है। अब हर साल हजारों की संख्या में छात्राएं प्रवेश के लिए आवेदन करती हैं लेकिन सभी को प्रवेश नहीं मिल पाने की वजह से मायूष होकर दूसरे कालेजों में जाती हैं या फिर नियमित पढ़ाई का सपना वहीं चकनाचूर हो जाता है।

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हर साल बड़ी संख्या में छात्राओं के प्रवेश से वंचित रह जाने की वजह से लगातार एक और कन्या महाविद्यालय की मांग उठाई जा रही है लेकिन सत्ता में बैठे नेताओं की उदासीनता की वजह से अब तक दूसरा महाविद्यालय स्थापित नहीं हो सका है। रीवा के इकलौते कन्या महाविद्यालय में बैठक क्षमता में विस्तार किया गया है, उसके अनुसार प्रवेश की संख्या भी बढ़ाई गई है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।

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अब एक बार फिर छात्राओं एवं उनके अभिभावकों ने रीवा शहर में एक और कन्या महाविद्यालय खोले जाने की मांग तेज कर दी है। आने वाले दिनों में कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ऐसे में पर्याप्त सीट संख्या नहीं होने की वजह से छात्राओं को प्रवेश में दिक्कतें होंगी।

सरकार बदली तो फिर रुक गई प्रक्रिया

रीवा में एक और कन्या महाविद्यालय की बढ़ती मांग के बीच अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी लेकिन कुछ समय बाद उनकी सरकार चली गई। कांग्रेस सरकार में इस दिशा में प्रयास शुरू हुए, शहर कांग्रेस अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू के ज्ञापन के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने कलेक्टर से पूरा प्रस्ताव देने के लिए कहा, जिसमें नए कालेज के लिए कितनी भूमि की जरूरत होगी और उसका स्वरूप क्या होगा, इस पर रिपोर्ट मांगी गई थी। उसी दौरान रीवा आए तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने घोषणा किया कि अगले सत्र से नए कन्या महाविद्यालय में प्रवेश शुरू हो जाएगा। उसी दौरान कांग्रेस की भी सरकार चली गई और रीवा में एक और कन्या महाविद्यालय खोले जाने की उम्मीदों को झटका लगा।

नए कालेज के लिए दो विकल्प आए सामने

रीवा में एक और कन्या महाविद्यालय खोले जाने के लिए पहले प्रशासन इस बात को लेकर पीछे हटता रहा कि शहर के भीतर शासकीय भूमि पर्याप्त नहीं होने से तकनीकी समस्या आएगी। बाद में उच्च शिक्षा विभाग ने ही प्रस्ताव तैयार किया कि रीवा में जनता महाविद्यालय जो अभी अनुदान प्राप्त संस्था है उसे पूरी तरह से शासकीय घोषित करते हुए नया कन्या महाविद्यालय स्थापित किया जाए। यह प्रस्ताव शासन के पास बीते साल भेजा गया था। अब कांग्रेस पार्टी की ओर से एक प्रस्ताव प्रशासन को दिया गया है जिसमें कहा गया है कि जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर गंगा कछार कार्यालय का भवन खाली हो रहा है, इसलिए यहां पर नया कालेज खोला जा सकता है। पहले से स्थापित कालेज के नजदीक होने की वजह से यहां पर उसी कालेज का एक्सटेंशन करते हुए अधिक संख्या में प्रवेश देकर कक्षाएं भी संचालित करने का सुझाव दिया गया है।

दबाव में सीटें बढ़ाई लेकिन संसाधन नहीं

हर साल करीब डेढ़ से दो हजार की संख्या में छात्राएं प्रवेश से वंचित रह जाती हैं। इसलिए प्रवेश के दिनों में आंदोलन और प्रदर्शन भी किए जाते हैं। जिसके चलते सीटें दस से 15 प्रतिशत तक हर साल बढ़ाई जाती हैं। करीब दस वर्षों से इसी तरह सीटें बढ़ाकर कुछ छात्राओं को प्रवेश देकर विरोध को शांत करने का प्रयास किया जाता है लेकिन उनके बैठने की व्यवस्था अलग से नहीं बनाई जाती। कालेज प्रबंधन ने सुबह से लेकर सायं तक लगातार अलग-अलग समय पर कक्षाएं संचालित करने का फार्मूला ढूढ़ा लेकिन अब इसके बावजूद बैठक व्यवस्था कम पडऩे लगी है और नए भवन की मांग बढ़ रही है।

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कालेज में हर साल बड़ी संख्या में छात्राओं के प्रवेश के लिए आवेदन आते हैं। जिसमें डेढ़ से दो हजार के बीच प्रवेश से वंचित रह जाती हैं। हर साल सीटें बढ़ाई भी जा रही हैं लेकिन बैठक व्यवस्था पर्याप्त नहीं होने की वजह से पठन-पाठन में समस्या उत्पन्न हो सकती है।

डॉ. नीता सिंह, प्राचार्य शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा

फैक्ट फाइल

- चार अगस्त 1961 को स्थापित हुआ था महाविद्यालय।

- 26 छात्राओं से शुरू हुए महाविद्यालय में 6862 छात्राओं की संख्या पहुंची।

- संभागीय मुख्यालय में अकेला कन्या महाविद्यालय होने की वजह से संभाग भर की छात्राएं प्रवेश के लिए आती हैं।

- शहर में छात्राओं के लिए एक और कालेज की मांग की जा रही है, जिसमें रोजगार परक पाठ्यक्रम संचालित हों।

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