REWA के जय डेरी संचालक को कोर्ट से मिला न्याय, जानिए क्या है पूरा मामला

 
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REWA NEWS : देश प्रदेश में बीमा कंपनियां (insurance company) अपनी लुभावनी स्कीम्स बता कर ग्राहकों को प्लान लेने पर मजबूर तो कर देतीं हैं लेकिन जब बारी सेटलमेंट की आती है तो यही कंपनियां ग्राहकों को अपने हक़ के पैसे देने में आनाकानी करने लगती हैं। ऐसा ही मामला रीवा से प्रकाश में आया है। मामला कोर्ट तक पहुंच गया। वहां से फरियादी को राहत मिली है। इसमें उनकी मदद उनके अधिवक्ता सुधीर सिंह (advocate sudheer singh) ने की। जिन्होंने फरियादी को उचित न्याय दिलवाया।

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क्या है मामला?
जय डेरी संचालक मृगेंद्र सिंह (Jai Dairy Director Mrigendra Singh) द्वारा अपने फार्म के सम्पूर्ण परिसर अर्थात सम्पूर्ण बिल्डिंग, बाउन्डीबाल, प्लान्ट मशीनर, स्टाक एवं फर्नीचर (Complete Building, Boundary, Plant Machinery, Stock & Furniture) हेतु नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से दिनांक 06.04. 2017 से दिनांक 05.04.2018 तक की अवधि के लिए बीमा पालिसी (insurance policy) प्राप्त की थी। वर्तमान प्रकरण बाउण्ड्रीवाल की क्षति से सम्बन्धित है। इस सन्दर्भ में यह भी अविवादित है कि बाउण्ड्रीवाल के बीमा का घोषित बीमा मूल्य दस लाख रूपये था।

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इसको लेकर डेरी संचालक ने प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित किया था की दिनांक 12.07.2017 को रीवा शहर में अचानक आई बाढ से परिवादी फर्म की बाउण्ड्रीवाल ढह गई है अर्थात क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे करीब 10,00,000 /- रुपये की क्षति हुई है। यह सूचना प्राप्त होने पर प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा पंजीबद्ध कर सर्वेयर की नियुक्ति की गई। सर्वेयर ए०एस० चौहान एवं राकेश त्रिवेदी द्वारा मौके का निरीक्षण सर्वे किया गया था।

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समय पर प्रतिपक्षी को जानकारी दिये जाने और प्रतिपक्षी के चाहे अनुसार दावा प्रपत्र एवं सभी आवश्यक दस्तावेज परिवादी ने प्रतिपक्षी को प्रदान किये। समय-समय पर परिवादी द्वारा पत्राचार भी किया जाता रहा। इसके बाद भी प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा का निराकरण नही किया गया जो कि सेवा में कमी है। ऐसे में फरियादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजवाई। लेकिन कंपनी द्वारा उचित कारवाही नहीं की गई। ऐसे में तंग आकर डेरी संचालक ने कोर्ट में कंप्लेंट कर दी। जिसके बाद यह मामला लगभग 3 साल तक कोर्ट में चला। आखिर में फरियादी न्याय मिला।

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5 जुलाई को कोर्ट ने फरियादी के पक्ष में आदेश दिया। आदेश के अनुसार कोर्ट ने सेवा में कमी के मद में परिवादी को 10000/- रूपये की राशि और वाद व्यय के मद में 7000 /- रुपये दिलाया जाना न्यायोचित समझा है। और प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को एक लाख सत्रह हजार आठ सौ रूपये एवं इस राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 01.10.2018 से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया गया।

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