ग्वालियर दर्दनाक हादसा : मम्मी कहा था काम पर मत जा, नहीं मानी ,पापा तो पहले ही चले गए, तुम भी छोड़ गई
ग्वालियर .मैंने कहा था आज मत जा मां। पापा तो पहले ही चले गए थे, अब तू भी हमें छोड़कर चली गईं मम्मी। 42 वर्षीय राजिंदरी पाल की मौत के बाद पोस्टमार्टम हाउस के बाहर कुछ इस तरह बिलख रहे थे उसके दो मासूम बेटे। महिला की मंगलवार सुबह पुरानी छावनी मुरैना रोड पर बस-ऑटो भिड़ंत में मौत हुई है। राजिंदरी का पूरा मुंह ऑटो की बॉडी में घुस गया था। घटना का पता चलते ही उसके दोनों बेटे 16 साल करन, 14 साल सतीश पीएम हाउस पहुंचे।
यहां जब उन्होंने मां का शव देखा तो चीख के साथ करन सुधबुध खो बैठा। वह बेहोश सा हो गया और घबराहट होने लगी। आसपास खड़े लोग दोनों बच्चों को बाहर लेकर आए और पोर्च पर लेटा दिया। यहां काफी देर तक वह रोता रहा। करन की आंखों से बह रहे आंसू लोगों से पूछ रहे थे कि उसकी मां के साथ क्या हुआ है। सिर्फ 300 रुपए के लिए हर सोमवार को वह 20 किलोमीटर दूर तक खाना बनाने चली जाती थी।
पति के गुजरने के बाद राजिंदरी देवी ने खुद संभाला था घर
वर्ष 2014 में पति प्रकाश सिंह पाल की मौत के बाद अपने दो बेटों करन और सतीश सहित सास की जिम्मेदारी का भार 42 साल की राजिंदरी देवी पर आ गया था। महिला ने अपने बच्चों को क्ष्घ्च् अफसर बनाने का सपना देखा था। इसके लिए वह दिन रात मेहनत कर रही थी। बीते 3 साल से वह पुरानी छावनी आंगनबाड़ी में खाना बनाने जाती थी।
आंगनबाड़ी में सोमवार रात को खाना बनता है और सुबह मंगलवार को यह बांटा जाता है। एक सोमवार को 300 रुपए उसे मिलते थे। एक महीने में सिर्फ 1200 रुपए कमाने के लिए राजिंदरी इतनी दूर जाती थी, क्योंकि उन्हें इस 1200 रुपए की अहमियत पता थी। पर सोमवार को जब वह काम पर जा रही थी तो बेटे करन ने कहा भी था कि मां आज नहीं जाओ,लेकिन बेटे के भविष्य के लिए बेटे की बात को अनसुना कर वह चली गई। सुबह 6.30 बजे तक जब वह नहीं आई तो करन ने मां के मोबाइल पर कॉल किया और इस हादसे का पता लगा।
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छोटे भाई सतीश को लेकर वह पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। यहां काफी भीड़ थी और दोनों बेटों को शव दिखाने अंदर ले जाया गया। यहां मां का कुचला चेहरा देख करन और सतीश फूट-फूटकर रोने लगे। लोग उन्हें पकड़कर बाहर लाए। रोते हुए करन बार-बार कह रहा था कि मां कहा था आज न जा, लेकिन तू नहीं मानी। पहले पापा हमें छोड़कर चले गए और अब तुम भी चलीं गई मम्मी।
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दोनों भाइयों के सिर से मां का साया नहीं रहा
इस दर्दनाक घटना के बाद करन और सतीश दोनों के सिर से हमेशा के लिए मां का हाथ हट गया है। साथ ही उनके सामने कुछ ही घंटों में जीवन की पूरी परेशानियां खड़ी हो गई हैं। वह किराए के मकान में रहते हैं। कुछ दिन तक तो सभी उनका ख्याल रखेंगे, लेकिन उसके बाद दोनों भाइयों को अपनी राह खुद ही बनानी होगी।
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