REWA : सतना से फिर छल : माननीय फीता ही काटते रह गए और रीवा उड़ा ले गया अपनी जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन का कोटा

 

REWA : सतना से फिर छल : माननीय फीता ही काटते रह गए और रीवा उड़ा ले गया अपनी जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन का कोटा

रीवा। कोरोना वायरस की सेकंड वेव में ऑक्सीजन के लिए चल रही मारामारी के बीच सतना एक बार फिर छला गया है। इस बार सतना के साथ यह छल विकास के मामले में नहीं बल्कि सतना की पूरी आबादी की प्राण वायु के साथ हुआ है। सतना ऑक्सीजन के आवंटन में न केवल रीवा बल्कि कटनी जैसे छोटे जिले से भी पीछे रह गया है। इस स्थिति ने सतना के जनप्रतिनिधियों की क्षमता और संजीदगी पर बड़े सवाल भी एक बार फिर खड़े कर दिए हैं।

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राज्य शासन द्वारा जारी किए गए ऑक्सीजन एलोकेशन डेटा पर गौर किया जाए तो सतना की 6.5 एमटी ऑक्सीजन डिमांड के मुकाबले सिर्फ 4. 6 एमटी ऑक्सीजन का अलॉटमेंट किया गया है जबकि रीवा को 20 के मुकाबले 25 .70 एमटी हासिल हुआ है। पड़ोसी जिले कटनी की मांग पूरी कर दी गई है।

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रीवा को बोकारो और सिंगरौली के प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी लेकिन सतना को सिर्फ विनायक इंजीनियरिंग से ही सप्लाई हो सकेगी। इसके पूर्व तक एलाइड प्लांट से भी सतना को ऑक्सीजन मिल जाती थी लेकिन इस बार सतना के साथ एलाइड को मैप ही नहीं किया गया। मैपिंग का यह नया शेड्यूल 24 अप्रैल को जिलों से कलेक्टर्स द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर जारी हुआ है। जिसमे सतना को सिर्फ एक प्लांट के भरोसे छोड़ दिया गया है।

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गौरतलब है कि कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में सतना में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है। बड़ी संख्या में पोस्ट कोविड केस सामने आ रहे हैं। सरकारी हो अथवा निजी अस्पताल कहीं भी मरीजों को बिस्तर नहीं मिल पा रहे हैं। ऑक्सीजन के बगैर मरीजों की जान संकट में है और उनके परिजन किसी भी कीमत पर कहीं से भी ऑक्सीजन का इंतजाम करने के लिए कुछ भी दांव पर लगाने को तैयार हैं।

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सतना में मौजूदा मांग 6.5 एमटी की है जिसकी जानकारी राज्य शासन को भेजी गई थी लेकिन नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन पी नरहरि ने सतना की इस मांग को दरकिनार कर आवंटन में कटौती कर दी। कटौती करते वक्त यह विचार करना भी जरूरी नहीं समझा गया कि 2 एमटी ऑक्सीजन की भरपाई इस कठिन दौर में कहां से और कैसे होगी ? क्या मरीजो को ऑक्सीजन के बिना मौत के मुंह मे जाने दिया जाएगा ?

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जानकार बताते है कि एलाइड को मैप नहीं किए जाने का दुष्परिणाम यह होगा कि अब उसे सप्लाई मिलना अनिश्चित हो गया है लिहाजा वह रीफिलिंग भी नहीं कर सकेगा। अगर अतिरिक्त मात्रा बचती है तभी उसे सप्लाई मिलेगी। विनायक इंजीनियरिंग को सप्लाई तो मिलेगी और वह रीफिलिंग भी करेगी लेकिन उसकी क्षमता सतना की मौजूदा मांग के मुकाबले कम है।

ये हाल तब जब सतना के मंत्री !

सतना में कोरोना संक्रमित मरीजों की प्राण वायु के साथ यह छल तब हुआ है जब मुख्यमंत्री द्वारा कोविड के लिए प्रभारी बनाए गए मंत्री राम खेलावन पटेल सतना की अमरपाटन सीट से ही निर्वाचित विधायक हैं। मंत्री जी दमोह चुनाव प्रचार से फारिंग हो कर लौटे तो जरूर लेकिन तब से निरीक्षण - परीक्षण और महामारी के दौर में भी अस्पतालों के बिस्तरों - वार्डो के उद्घाटन में ही व्यस्त हो कर रह गए हैं। उनके अलावा भी सतना में प्रभावशाली नेताओ की लंबी फेहरिश्त है।

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सतना के सांसद गणेश सिंह भोपाल ही नहीं दिल्ली तक प्रभावशाली माने जाते हैं। रैगांव विधायक जुगल किशोर बागरी अस्वस्थ्य है लेकिन नागौद के विधायक नागेंद्र सिंह शिवराज कैबिनेट के पुराने सदस्य और प्रभावशाली विधायक है। मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी विंध्य प्रदेश बनवाने की मांग का बीड़ा उठाए ही घूम रहे हैं। रामपुर विधायक विक्रम सिंह भी भाजपा से हैं और भोपाल तक अच्छा खासा दखल रखते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि सतना के हालात पर सतना से विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा खामोश हैं और चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी भी गुम हैं। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर जिले के ये दिग्गज जनप्रतिनिधि सतना को उसकी मांग के मुताबिक ऑक्सीजन का आवंटन भी नहीं दिला सकते तो फिर ये जनता के कैसे प्रतिनिधि - कैसे सेवक ? आखिर सतना की ऑक्सीजन की जरूरत कैसे पूरी होगी ? क्या जनप्रतिनिधि नींद में होने के स्वांग से उबरेंगे ? क्या पक्ष - विपक्ष और तेरा - मेरा की राजनीति से परे हट कर सतना को उसकी मांग के मुताबिक प्राण वायु की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का कोई प्रयास करेंगे या फिर जनता को राम भरोसे छोड़ दिया जाएगा ?

वैसे भी सतना से ज्यादा रीवा की फिक्र

सीएम शिवराज ने अमरपाटन विधायक राम खेलावन पटेल को भले ही रीवा - सीधी के साथ सतना का भी कोविड प्रभार सौंपा हो लेकिन मंत्री जी को सतना से कहीं ज्यादा रीवा की फिक्र रही है। सूत्र बताते है कि सतना में ऑक्सीजन के लिए चल रही मारामारी के बावजूद मंत्री जी रीवा को सतना से ऑक्सीजन देने का दबाव बनाने से कभी नहीं चुके। रीवा के निजी अस्पतालों को इन हालात में भी सतना के अस्पतालों से ज्यादा ऑक्सीजन दी गई। सतना के लिए आया आधा टैंकर भी रीवा में हड़प लिया गया और मंत्री जी खामोशी की चादर ओढ़े रहे। सूत्र बताते है कि रीवा पर मंत्री जी की मेहरबानी सिर्फ इसलिए बरसती रही है क्योंकि उनके खास मरीजों को उपचार के लिए रीवा ही भेजा जाता है। उन खास लोगों को खास सुविधा दिलाने के एवज में सतना से ऑक्सीजन दिलाई जाती है।

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