SATNA : फ्रंटलाइन वर्कर ने हारी कोरोना से जंग / पति ने कहा तो बोली- टीके के बाद आएगी बुखार, ड्यूटी होगी प्रभावित

 

SATNA : फ्रंटलाइन वर्कर ने हारी कोरोना से जंग / पति ने कहा तो बोली- टीके के बाद आएगी बुखार, ड्यूटी होगी प्रभावित

सतना। कोरोना महामारी में लोगों की जिंदगी बचाने वाली एक फ्रंटलाइन वर्कर जिंदगी की जंग हार गई। यहां रामनगर के गोरसरी उप स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ रही ANM को पति ने कोरोना के लक्षण को देखते हुए आनन-फानन में जबलपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया था। जहां दो दिन भर्ती रहने के बाद चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में फिर सतना के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन रविवार की अलसुबह एएनएम ने 10 दिनों के संर्घष के बाद आखिरकार दम तोड़​ दिया।

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मिली जानकारी के मुताबिक बिरसिंहपुर तहसील के होमहाई गांव की रहने वाली माया आदिवासी (38) रामनगर ब्लॉक के उप स्वास्थ्य केन्द्र गोरसरी मे एएनएम के पद पर पदस्थ थी। जो एक पखवाड़े पहले सर्दी बुखार से पीड़ित हो गई। पति प्रकाश कुमार ने 8 मई को जिला अस्पताल में दिखाया तो चिकित्सकों ने एसपीओ टू कम होने पर कोविड 19 की जांच कराने को कहा। ऐसे में एएनएम कोरोना जांच में संक्रमित पाई गईं। उसे जिला अस्पताल के ट्रामा यूनिट ग्राउंड फ्लोर में भर्ती कराया गया। 10 दिन इलाज के बाद स्वस्थ्य होने पर 18 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया।

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आंखों से नहीं दिख रहा था, फिर भी दे दी छुटटी

पति का आरोप है कि डिस्चार्ज करने से पहले ही माया की आंखों से कुछ धुंधला दिखाई दे रहा था। छुट्टी देते समय स्टाफ नर्स को बताया भी तो उन्होंने कहा कि एक दो दिन में सब सही हो जाएगा। घर पहुंचे तो फिर तकलीफ बढ़ गई। ऐसे में प्रेम नर्सिंग होम में दाखिल कराया। इसके बाद सीसी स्कैन कराया तो चिकित्सकों ने फेफड़ों और ब्रेन में संक्रमण होना बताकर इलाज शुरू ​किया। रेमडेसिविर लाने को कहा गया। ऐसे में करीब 68 सौ में दो वायल खरीदकर लगवाया। इसके बाद भी हालत नाजुक बनी रही। फिर अंत में प्रेम ​नर्सिंग होम वाले बाहर ले जाने की सलाह दी।

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जबलपुर मेडिकल कालेज में नहीं मिला बेड

आनन-फानन में जबलपुर मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां बेड तक नहीं​ मिला। स्ट्रेचर में ही ड्रिप चढ़ाया गया। थक हारकर 21 मई को रात 1 बजे हेल्थ केयर अस्पताल पहुंचा। यहां 60 हजार रुपए एडवांस जमा कराए गए। दूसरे दिन 11 बजे कहा दोनों फेफड़ों में संक्रमण बढ़ गया है। मरीज का बचना मुश्किल है। ऐसे में वेंटिलेटर में एक दिन का 50 हजार रुपए लगेगा। बेहतर होगा कि मरीज को घर ले जाओ। करीब 20 घंटे के भीतर 81 हजार रुपए भुगतान के बाद एंबुलेंस से पत्नी को वापस जिला अस्पताल लाया। जहां रविवार की अलसुबह मौत हो गई। अंत में कोविड प्रोटोकॉल के तहत नजीराबाद मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया।

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ड्यूटी पर नहीं जाऊंगी तो अधिकारी नाराज होंगे

पति ने आरोप लगाते हुए बताया कि माया को ब्रेन में तकलीफ रहती थी। फिर भी उसकी ड्यूटी टीकाकरण केन्द्र में लगी रहती थी। ऐसे में उसने मुझे टीका लगवाया, लेकिन खुद नहीं लगवाई। उसका कहना था कि टीका के बाद बुखार आएगी ही। जिससे ड्यूटी प्रभावित होगी। तो अधिकारी नाराज होंगे। यही डर शुरू से लेकर अंत तक बना रहा। आखिरकार टीका न लगने के कारण उसकी मौत हो गई।

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