MP : स्पाइनल एट्रोफी नाम के बीमारी से जूझ रहा था नौ महीने का मासूम, जिंदगी बचाने के लिए चाहिए था 16 करोड़ का इंजेक्शन
जबलपुर .स्पाइनल एट्रोफी नाम के दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे नौ महीने के मासूम आयुष अर्खेल ने सोमवार को आखिरी सांस ली। जिंदगी बचाने के लिए उसे अमेरिका में उपलब्ध 16 करोड़ रुपए कीमत वाले इंजेक्शन की जरुरत थी। बेबस पिता की अपील पर कुछ लोग सामने भी आए, लेकिन प्रयास नाकाफी साबित हुए। मासूम को बचाने देर से शुरू हुई मुहिम अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।
जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड के एनआईसीयू केयर में भर्ती यह मासूम वेंटिलेटर पर पिछले कई दिनों से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा था। सोमवार 24 मई की शाम 7 बजे वह जिंदगी का जंग हार गया। साथ में उसके साथ जुड़े लोगों की संवेदनाएं और मदद के लिए आगे आए लोगों की आस भी टूट गई।
दुर्लभ स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी नाम की बीमारी थी
डॉक्टरों के मुताबिक आयुष अर्खेल स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी की टाइप-1 नाम के दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था। इससे पीड़ित बच्चे की मांसपेशियां कमजोर होती हैं। शरीर में पानी की कमी होने लगती है। स्तनपान करने और सांस लेने में कठिनाई होने लगी है। इस बीमारी से ठीक होने के लिए उसे 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की जरूरत थी, जिसे स्विटजरलैंड की एक कंपनी बनाती है।
पिता ने क्राउड फंडिंग कर बेटे की जान बचाने के प्रयास में जुटा था
मासूम आयुष के पिता अमर कुमार अर्खेल प्रेमसागर चौकी झंडा चौक में रहते हैं। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले अमर बेटे के लिए जरूरी 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए क्राउड फंडिंग कर बेटे की जान बचाने की मुहिम छेड़ी थी।
कई दानदाता सामने भी आए। मदद में अपने स्तर से पैसे भी दिए, लेकिन वह 16 करोड़ रुपए के आगे यह नाकाफी रहा। दरअसल, इसी तरह के मामले में महाराष्ट्र में वहां के लोगों और सरकार के प्रयासों से नौ साल के बच्चे की जान बच गई थी।