रीवा में 650 नर्सों का अनिश्चितकालीन आंदोलन : 3 जुलाई से आंदोलन स्थल में होगा भंडारा; नर्सिंग छात्राओं की SGMH में लगी ड्यूटी : हड़ताल के बाद लड़खड़ाई स्वास्थ्य व्यवस्था

 

रीवा में 650 नर्सों का अनिश्चितकालीन आंदोलन : 3 जुलाई से आंदोलन स्थल में होगा भंडारा; नर्सिंग छात्राओं की SGMH में लगी ड्यूटी : हड़ताल के बाद लड़खड़ाई स्वास्थ्य व्यवस्था

(ग्राउंड एमपी 17 ऋतुराज द्विवेदी की रिपोर्ट ) रीवा। मध्यप्रदेश में नर्सिंग एसोसिएशन का अनिश्चितकालीन आंदोलन के तीसरे दिन रीवा में 650 नर्सों ने छतरी लगाकर प्रदर्शन किया। इसके बाद साउंड लगाकर "इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो न" ​ गाना गया। नर्स एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष अंबिका तिवारी ने बताया कि नर्सों का आंदोलन प्रदेशभर में वृहद रूप लेता जा रहा है। अभी तक जहां आंदोलन में 550 मेडिकल कॉलेज की नर्सें, 100 जिला अस्पताल की नर्सें शामिल थी।

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वहीं कोरोना काल में सेवा देने वाले 80 वार्ड सर्वेंट भी आंदोलन में पहुंच गए है। वार्ड ब्याय और आया ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिवराज सरकार तानाशाह हो गई है। जिन स्वास्थ्य कर्मियों ने आपदा काल में देश की सेवा की। न उनको वेतन दिया। न पहले सूचना दी। एक दिन पहले नोटिस देकर हटा दिया। ऐसे में अब वार्ड सर्वेंट भी आर पार की लड़ाई लड़ेंगे।

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शुक्रवार को 5 घंटे चला प्रदर्शन

बताया गया​ कि शुक्रवार को नर्सों का 5 घंटे प्रदर्शन चला है। जो सुबह 9 बजे से चालू होकर दोपहर 2 बजे तक चलता रहा। हालांकि प्रदर्शन स्थल में 24 घंटे कोई न कोई मौजूद रहा है। 3 जुलाई से आंदोलन स्थल में ही भंडारे का प्रोगाम रखा जाएगा। जिससे नर्स माता और बहनों को भोजन के लिए यहां वहां न भटकना पड़े।

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80 वार्ड सर्वेंट का भी आंदोलन में समर्थन

बताया गया कि नर्सों के आंदोलन को मध्यप्रदेश की सभी नर्से जैसे डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन एवं डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सविर्सेज के साथ सभी मेडिल कॉलेज, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी व उप स्वास्थ्य केन्द्रों को मिलाकर 650 नर्सों का हड़ताल में समर्थन प्राप्त है। वहीं शुक्रवार से 80 वार्ड सर्वेंट भी आंदोलन में शामिल होकर आवाज बुलंद कर रहे है।

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50 नर्सों ने रिटर्न किया कोरोना अवार्ड

प्रदेश सरकार की उपेक्षा की शिकार नर्सें कोरोना काल में अच्छी सेवा के लिए मिले कोरोना अवार्ड को रिटर्न कर दिया है। आरोप है कि जब हमारी मांगों की सुनवाई ही नहीं हो रही तो क्या करना है इस अवार्ड का। वहीं कोरोना काल में सेवा देने वाले वार्ड ब्याय और आया कर्मचारियों के साथ बहुत गलत हुआ है। जब देश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल थी। तब इन लोगों ने कोरोना काल में आम जनता की सेवा कर जान बचाई थी। लेकिन कोरोना के केस घटते ही सरकार रद्दी की टोकरी में फेंक दिए गए।

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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने चेतावनी

बीते दिन संजय गांधी अस्पताल के आउट सोर्स चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी दी है। कलेक्टर, कमिश्नर, कॉलेज डीन और अस्पताल अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है। 48 घंटे के अंदर वेतन बढ़ाए जाने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि उनका शोषण हो रहा है। कई सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन वेतन के नाम पर सिर्फ 75 सौ रुपए मिल रहे हैं। जबकि महंगाई आसमान छू रही है। कर्मचारियों ने 48 घंटे की चेतावनी दी है। साथ ही कहा है कि यदि उनका वेतन न बढ़ाया गया तो वह नर्सिंग एसोसिएशन के हड़ताल में शामिल हो जाएंगे।

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ये है मुख्य 10 मांगें

1. अन्य राज्यों की भांति नर्सों को सेकंड ग्रेड का दर्जा दिया जाए।

2. पुरानी पेंशन योजना लागू करें।

3. कोरोना काल में शहीद हुई नर्से एवं उनके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। एवं 15 अगस्त को कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित करें।

4. शासन स्तर की सभी घोषणाओं को अमल करें।

5. 2018 में आर्दश भर्ती नियम को संशोधन करें।

6. प्रतिनियुक्ती समाप्तकर स्थानांतरण की प्रकिया चालू करें।

7. कोरोनाकाल में अस्थाई रूप से भर्ती की गई नर्सों को नियमित करें।

8. मध्यप्रदेश में कार्यरत नर्से को एक ही विभाग में सामान्य कार्य का समान वेतन दिया जाए।

9. वर्षों से रूकी पदोन्नत को शुरू करें। साथ ही अन्य राज्यों की भांति पद नाम परिवर्तित किया जाए।

10. मेल नर्सों की भर्ती में सामानता का अधिकार दिया जाए।

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