BELA- SATNA PROJECT : 47 KM मार्ग का 2013 में हुआ था भूमिपूजन; तीन साल तक चली थी टाप वर्थ और दिलीप बिल्डकॉन के बीच लड़ाई : ROB की वजह से अटका काम

 

                  BELA- SATNA PROJECT : 47 KM मार्ग का 2013 में हुआ था भूमिपूजन; तीन साल तक चली थी टाप वर्थ और दिलीप बिल्डकॉन के बीच लड़ाई : ROB की वजह से अटका काम

विंध्य के दो जिलों को जोड़ने वाला बेला-सतना फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे है। यहां वर्ष 2013 से शुरू हुआ प्रोजेक्ट 8 साल बाद भी आधा-अधूरा पड़ा है। इधर बैलेंस वर्क के रूप में श्रीजी इंफ्रा को मिला काम 4 बार के एक्सटेंशन के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट के लिए अभी चार माह शेष बचे है।

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सतना और कैमा रेलखंड के बीच जिस तरह से रेलवे ओवर ब्रिज का काम चल रहा है। उससे नवंबर माह तक रेलवे आरओबी का काम पूरा होने की दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में निर्माण एजेंसी को एक बार फिर एक्सटेंशन लेने की तैयारी शुरू कर दी है।

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गौरतलब है कि बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट को बिरला से सेमरिया जाने वाले बदखर तक चालू कर दिया गया है। हालांकि बदखर बाइपास से आगे सोहावल तक रेलवे आरओबी ब्रिज के कारण काम रुका है, जिसमें प्रयागराज-सतना रेल लाइन और रीवा-सतना रेल लाइन के दो अहम ब्रिज आज तक नहीं बने है।

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ऐसे में भारी वाहन अभी भी सतना शहर के मध्य से गुजर रहे है, जबकि प्रोजेक्ट में बाइपास का निर्माण ही इसीलिए कराया गया था कि शहर की ओर बड़े वाहन न घुसे। बल्कि बाहर ही बाहर निकल जाएं, लेकिन रेलवे की आरओबी के कारण प्रोजेक्ट में अब और देरी हो सकती है।

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तय समय में पूरा करने के निदेश

नेशनल हाईवे के अधिकारियों ने बताया कि बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट को पूर्ण करने के लिए नवंबर माह तक का समय निर्धारित किया गया है। निर्माण एजेंसी को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि तय समय में इसे पूरा करें। वहीं एक पखवाड़े पहले जल्दबाजी में आधे-अधूरे हाईवे को सतना सांसद गणेश सिंह ने लोकार्पण कर दिया था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि उसी दिन 33 करोड़ की लागत से बने टमस नदी के पुल का भी शुभारंभ किया था।

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वर्ष 2013 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट अभी तक अधूरा

एनएच के अधिकारियों की मानें तो बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी। प्रोजेक्ट का टेंडर टाप वर्थ कंपनी को दिया गया था। फिर टाप वर्थ ने इस रोड का काम पेटी में दिलीप बि​ल्डकॉन को सौंप दिया था। तब 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने के बाद दोनों कंपनियों में पैसे को लेकर विवाद हो गया। जिस पर पेटी कंपनी ने काम छोड़ दिया। इस तरह करीब 3 साल तक चली लड़ाई में सतना बेला फोरलेन काम बंद रहा। फिर राज्य और केन्द्र सरकार ने मध्यस्थता के बाद दिलीप बिल्डकान ने काम शुरू किया। 3 से 4 माह के बाद दोनों एजेंसिया फिर विवाद करने लगी। तो वर्ष 2018 तक कार्य रुका रहा। इसके बाद बैलेंस वर्क को टेंडर दिया गया।

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दिसंबर 2019 तक थी आखिरी डेट लाइन

बता दें कि जुलाई 2018 में बैलेंस वर्क को जारी किए गए टेंडर की आखिरी डेट लाइन दिसंबर 2019 थी। कार्य पूर्ण न होने पर निर्माण एजेंसी ने 3 माह का एक्सटेंशन ले लिया। तभी मार्च 2020 में कोरोना का लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के कारण तीन माह का फिर एक्सटेंशन मिल गया। इसके बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा रहा। तभी एजेंसी ने फिर 6 माह का एक्सटेंशन ले​ लिया। ऐसे में अब प्रोजेक्ट को 2021 फरवरी या मार्च माह में पूर्ण हो जाना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ। इससे अब एक बार फिर नवंबर माह तक का समय निर्माण एजेंसी को दिया गया है।

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