REWA : दुखों से भरे जीवन में भी नहीं मानी हार, ऐसी है इस महिला की कहानी, बेटी को बनाना चाहती है क्लास वन ऑफिसर : पढ़िए

 

REWA : दुखों से भरे जीवन में भी नहीं मानी हार, ऐसी है इस महिला की कहानी, बेटी को बनाना चाहती है क्लास वन ऑफिसर : पढ़िए

रीवा के चिरहुला कॉलोनी के समीप रहने वाली महिला के संघर्ष की कहानी बता रहे हैं। जिनकी पूरा जीवन दुखों से बीता है। रीवा न्यूज़ मीडिया से बातचीत में इति सान्याल ने बताया कि शादी के 11 महीने बाद बेटी हुई, तभी से पति छोड़ दिया। न हमको आज तक तलाक मिला न गुजारा भत्ता। फिर भी वक्त से साथ लड़ती रही। शुरुआती दौर में गली-गली में ट्यूशन पढ़ाया।

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दाल-रोटी चलाने के लिए निजी स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य तक किया। बेटी को बहन के यहां कटनी में छोड़ दी। समय-समय पर स्कूल की फीस व अन्य खर्चे वहन किए। अंतत: बेटी एमपी पीएमटी के ​जरिये भोपाल के निजी कॉलेज से ​फिजियोथेरेपिस्ट बनी। अब उसको यूपीएससी की तैयारी करा रही हूं। मेरा सपना है कि वह सिविल सर्विस में चयनित होकर क्लास वन ऑफिसर बने।

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इति सान्याल एक बंगाली फैमिली से हैं। उनके पिता 5 दशक पहले कोलकाता से आकर रीवा शिफ्ट हो गए थे। उनका 24 जनवरी 1996 को यूपी के प्रयागराज में श्यामल सान्याल से शादी हो गई। कुछ दिनों बाद प्रेग्नेंसी आ गई, तभी से पति प्रताड़ित करने लगा। किसी तरह 10 महीने गुजरे। डिलीवरी कराने रीवा आ गई।

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इसी बीच, जनवरी 1997 में बेटी सुदीप्ति सान्याल का जन्म हुआ। ससुराल वालों को बेटी का पता चला, तो मुड़ कर नहीं आए। इलाहाबाद कोर्ट में तलाक का आवेदन लगा दिया। हालांकि मैंने तलाक होने नहीं दिया। हर पेशी में गई, पर हार नहीं मानी। फिर भी न तो ससुराल वाले न पति कभी मुड़कर देखा।

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एक-एक दाने के लिए मोहताज

2004 में पिता का निधन हो गया। ऐसे में मायके की परिस्थितयां बदल गईं। फिर भी पिता के घर में ही अलग रहने लगी। खुद को संभालने की कोशिश जारी रखी, तो 2014 में मां साथ छोड़कर चली गई। एक दिन रीवा की सामाजिक कार्यकर्ता ममता नारेन्द्र सिंह मिली। जिन्होंने एक स्कूल में​ शिक्षिका की नौकरी लगवा दी। फिर पीछे मुड़कर नहीं ​देखा। गली-गली में ट्यूशन पढ़ाया। अब दूसरी स्कूल में शिक्षिका हूं।

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शिक्षिका के नाते बेटी को किया गाइड

बेटी ने वर्ष 2003 में नर्सरी से लेकर साल 2014 तक 12वीं तक की पढ़ाई कटनी में की। फिर 2014 में पीएमटी को टेस्ट निकालकर फिजियोथेरेपी चिकित्सक की पढ़ाई पूरी की। दो साल तक भोपाल के निजी नर्सिंग होम में नौकरी भी की। अब कटनी में रहकर दिल्ली की ऑनलाइन कोचिंग लेकर UPSC की तैयारी कर रही है।

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