MP : जज ने बना दी जोड़ी : ड्रामा, इमोशंस, एक्शन सब कुछ फिल्म सा, ये रील नहीं रियल लव स्टोरी है..

 

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जबलपुर। 28 जनवरी 2022, दिन शुक्रवार। यह हमारी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन रहा। इस दिन हाईकोर्ट ने हमारे प्यार पर मुहर लगा दी। आरती के घरवालों और उनके वकील ने हमें अलग करने की पूरी कोशिश की। हमें डराया-धमकाया। आरती को कोर्ट में बयान देने से रोका गया। इस बीच जस्टिस नंदिता दुबे ने मोबाइल पर आरती से बात की। आरती ने दो साल से ढाए जा रहे जुल्म ऑन कैमरा बताए। मेरे साथ रहने की बात कही। ये वो लम्हा है, जो दो साल की नरक भरी जिंदगी के बाद मिला है। शहर से दूर हम खुश हैं...।

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मैं गुलजार 8वीं पास हूं। आरती और मेरा घर गोरखपुर (जबलपुर) में एक-दूसरे के पड़ोस में है। आरती 10वीं तक पढ़ी है। चार साल पहले 2018 में हमें प्यार हुआ। हम छुप-छुपकर मिलने लगे। दो साल पहले यानी 2020 में इस रिश्ते की जानकारी दोनों के परिवारों को हो गई। इसके बाद आरती के परिवार की ओर से सख्ती की जाने लगी।

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आरती के पापा को हमारा रिश्ता मंजूर नहीं हुआ। आरती की पढ़ाई छुड़ा दी गई। वह अपने ही घर में कैद होकर रह गई। पर, कभी-कभार हम छिपकर मिल लेते थे। मोबाइल पर बात हो जाती थी। आरती के घरवाले उसे पीटते थे। वह ऐसा कई बार कर चुके थे।

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हमने शादी का फैसला किया। मेरे घरवाले राजी थे। 2020 में हम जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे। एसडीएम कोर्ट पहुंचे तो वहां आरती के पापा के दोस्त सोनू यादव मिल गए। उन्होंने सारी बात आरती के घर पर बता दी। घरवालों ने आरती की जमकर पिटाई की। आरती के पापा ने उसे उठाकर पटक दिया। उसकी कमर की हड्‌डी में फ्रैक्चर आ गया। वह अलग-अलग हॉस्पिटल्स में महीने भर भर्ती रही। उसे पूरी तरह ठीक होने में एक साल लग गया।

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हम समझ चुके थे कि जबलपुर में शादी करना मुश्किल है। मुझे दिल्ली स्थित लीड इंडिया ग्रुप के सुभाष सिंह के बारे में जानकारी हुई। 27 दिसंबर को हम दोनों ट्रेन के जरिए जबलपुर से मुंबई के लिए भागे। 28 तारीख को हम दोनों ने सीधे बांद्रा कोर्ट पहुंचकर शादी की। वहां कंचन मैडम ने हमारी मदद की। लीड इंडिया ग्रुप इस तरह की शादी कराने में मदद करता है। BMC (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया। स्पीड पोस्ट से जानकारी घरवालों और जबलपुर के गोरखपुर थाने को दे दी।

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इधर, आरती के घरवालों ने ओमती थाने (जबलपुर) में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी। मोबाइल से लोकेशन ट्रेस कर ओमती पुलिस मुंबई आ गई। आरती के पापा के दोस्त सोनू यादव भी साथ थे। पुलिस के सामने मुझे पीटा गया। पुलिस हमें लेकर मुंबई के निर्मल थाने पहुंची। वहां से जबलपुर ले आई। ट्रेन में पुलिस आरती के बयान नोट करती रही।

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12 जनवरी की शाम 4 बजे हमें मदनमहल स्टेशन पर उतारा गया। जीप से सोनू और आरती के घरवाले भी पीछे-पीछे आ गए। ओमती थाने में हमें डराया-धमकाया गया। शादी के सारे दस्तावेज पुलिस ने जब्त कर लिए। मेरे घरवालों को जानकारी नहीं दी। रात में मुझे सिविल लाइंस थाने भेज दिया गया। 13 जनवरी की दोपहर 12.30 बजे ओमती पुलिस फिर वापस ले गई। थाने में दबाव बनाया कि आरती से कहो, वह अपने घर चली जाए। मैंने मना करते हुए आरती को कोर्ट में पेश करने को कहा, तो बुरी तरह पीटा गया।

ओमती पुलिस ने गांजे का केस लगाकर जेल भेजने की धमकी दी। कहा गया कि दोनों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। हमारे इरादे नहीं बदले। आरती ने कोर्ट के बाहर गले लगकर बिलखते हुए बताया कि पुलिस ने उसे भी पीटा। बहुत गंदे शब्द कहे। वहां से आरती को घसीटते हुए उसके घरवालों को सौंपा गया। उसने चलती गाड़ी से कूदकर भागने की कोशिश की। उसकी हालत पागलों जैसी कर दी गई थी। मुझे थाने में इतना पीटा गया कि मैं बेहोश हो गया। मुझे विक्टोरिया में भर्ती कराया। ठीक होने पर मुझे छोड़ दिया गया।

आरती को उसके घरवालों ने गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) उसके ननिहाल भेज दिया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं? एक हफ्ते बाद आरती का फोन आया कि उसे वहां बंधक बनाकर रखा गया है। उसने फंदा लगाने की भी कोशिश की थी। मामा ने दरवाजा तोड़कर उसे बचाया था। वहां उसने 7 दिन तक खाना नहीं खाया।

घरवालों के लिए आरती मर चुकी थी। उसके कपड़े जलाकर चौथा तक कर दिया गया। दो साल की यातना में आरती ने चार बार सुसाइड की कोशिश की। आखिर में मैंने दिल्ली स्थित लीड इंडिया ग्रुप के सुभाष सिंह से फिर बात की। उन्होंने हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट (हैबियस कॉपर्स कानून की वह व्यवस्था है, जिसके तहत कोई भी किसी को गैरकानूनी ढंग से बंधक बनाए जाने की शिकायत कर सकता है।) दाखिल कराने की बात कही। हमने 17 जनवरी को एडवोकेट जुनेद खान और सचेंद्र रघुवंशी के जरिए से जबलपुर हाईकोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दाखिल की। साथ ही गोरखपुर थाने में भी शिकायत की।

गोरखपुर TI ने आरती के घरवालों को लड़की को पेश करने को कहा। 27 जनवरी को आरती का कॉल आया कि उसे जबलपुर लाया जा रहा है। उसी रात वह आ गई। गोरखपुर पुलिस स्टेशन में उसने मेरे साथ रहने की बात कही। रात होने पर आरती को उसके पापा के दोस्त सोनू यादव के घर भेज दिया गया। वहां फिर उसे डराया-धमकाया गया। 28 की सुबह आरती को गोरखपुर पुलिस हाईकोर्ट लेकर पहुंची।

जबलपुर हाईकोर्ट ने 27 साल के गुलजार और 19 साल की आरती साहू को साथ रहने का फैसला सुनाया था। गोरखपुर (जबलपुर) पुलिस को कपल की सिक्योरिटी के आदेश दिए। अब हम जिंदगी की नई शुरूआत करने जा रहे हैं...।

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