REWA : संजय गाँधी अस्पताल की बड़ी लापरवाही आई सामने, युवक का शव रहस्मयी ढ़ंग से हुआ लापता : अस्पताल में मचा हड़कंप : जांच में जुटी पुलिस

 
REWA : संजय गाँधी अस्पताल की बड़ी लापरवाही आई सामने, युवक का शव रहस्मयी ढ़ंग से हुआ लापता : अस्पताल में मचा हड़कंप : जांच में जुटी पुलिस

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। संजय गांधी अस्पताल में परिजन एवं डॉक्टरों के बीच विवाद मौके पर पहुंची पुलिस ने संभाला मोर्चा, दी जा रही समझाइस संजय गांधी अस्पताल में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही आई सामने, पूर्व में कोविड- 19 से जिस युवक की हुई थी मौत शव रहस्मयी ढ़ंग से अस्पताल से हुआ लापता तो वही दूसरे शव पर कोरोना का बिल्ला लगाकर उस शव को बना दिया गया कोविड-19 से हुई मौत। 

अस्पताल से रहस्यमय ढंग से लापता हुए युवक को चिकित्सकों ने बता दिया था मृत। परिजनों ने कि उसकी तलाश अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही आई सामने वृद्ध के हाथ में गोविंद का टैग लगा कर बताया था मृत। एसडीएम फरहीन खान की छापामार कार्यवाही के बाद अस्पताल में मचा हड़कंप परिजनों के पास आया फोन।

जिसको लेकर मृतक के  परिजन एवं अस्पताल के डॉक्टरों के बीच उत्पन्न हुआ विवाद, सुचना मिलते ही चौकी प्रभारी मनोज गौतम एवं अमहिया थाना प्रभारी शिवा अग्रवाल जो दल बल के साथ मौक़े पर पहुचकर दोनों पक्षो को समझाइस देकर मामले को कराया गया शांत।


मध्यप्रदेश के रीवा जिले में संजय गांधी हॉस्पिटल की बड़ी लापरवाही या साजिश सामने आई है। यह हॉस्पिटल वैसे भी बदनाम है, और यहाँ का प्रबंधन हॉस्पिटल की छवि को बर्बाद करने में लगा है।


एक दिन बाद दी मौत की जानकारी
घटना बीते रविवार की है, जब परिजनों को उनके बेटे विवेक कुशवाहा की मौत की जानकारी मिली। युवक के उपचार में अस्पताल के ऊपर लापरवाही का आरोप लगा है, जिस कारण उसकी मौत हुई है।


अस्पताल वालो ने उसके परिवार को युवक की मौत के बारे में बताया ही नहीं। जबकि किसी भी व्यक्ति की मौत होती तो है, तो अस्पताल को तत्काल उसके परिजनों को यह बताना पड़ता है।

बता दें कि विवेक 5 अगस्त को भर्ती हुआ था। जिसकी मौत 8 अगस्त को हुई और परिवार वालों को यह जानकारी 9 अगस्त को दी गई।

सवाल यह है कि अस्पताल प्रबंधन ने एक दिन तक युवक की मौत की जानकारी परिजनों से क्यों छुपाई? क्या पता अस्पताल वाले मृतक के अंदरूनी अंगों को निकाल कर बेचने की फ़िराक  में हों ! और बाद में लाश ही गायब कर दी हो। 


कहाँ है विवेक का शव कोई बताने के काबिल नहीं
विवेक की मौत के दूसरे दिन उसके परिवार वालों को उसकी मौत की सूचना दी जाती है। जब उसके घर वाले पूछते हैं, कि जब विवेक की मौत 8 को हुई तभी ये हमसे क्यों नहीं बताया गया, तो जवाब देने में प्रबंधन मुह में दही जमा लेता है।


जिस परिवार में 22 साल का जवान लड़का मर जाए उनपर क्या बीती होगी। जब घर वाले अपने बेटे का शव देखने के लिए पहुँचे तो सब चौंक गए। क्योंकि वो विवेक नहीं किसी बुजुर्ग व्यक्ति का शव था। एसजीएमच के लोगों ने मृतकों के घर वालों के साथ ऐसी हरकत को अंजाम दिया है।


विवेक का शव कहाँ है? कोई बता नहीं पा रहा। कोई सुराग नहीं मिल रहा। यह आरोप लग रहे हैं कि हो सकता है कि अस्पताल वालों ने कोई घटिया खेल खेला हो और विवेक को मार कर उसके अंदरूनी अंग निकाल लिए हों। और बॉडी गायब कर दी या फिर उसे कोरोना से मर चुके लोगों की लिस्ट में शामिल कर के बॉडी डिकॉम्पोस्ड कर दी.

अस्पतल पर ऐसे आरोप तो लगेंगे ही। क्योंकि उन्होंने विवेक की मौत की जानकारी छुपाई ऊपर से उसकी डेडबॉडी गायब कर दी।

बदनाम है संजय गाँधी हॉस्पिटल
कई बार यह आरोप लग चुके हैं, कि यहां मरीज बीमारी से कम लापरवाही से ज्यादा मर रहे हैं। कोई देखने वाला नहीं रहता। कहने को डॉक्टर को भगवान कहते हैं, लेकिन यहाँ के डॉक्टर मरीजो और उनके परिजनो के साथ बदतमीजी करते हैं। मारपीट करते हैं।

एक मामल पिछले महीने सामने आया था जब एक कोरोना नेगेटिव व्यक्ति की मौत पर बिना घर वालों को बताए हॉस्पिटल प्रबंधन ने उस व्यक्ति के मृत शरीर को म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को सुपुर्द कर दिया जहॉं कर्मचारियों ने उसे डीकंपोस्ड कर दिया।


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